हिंदू धर्म में होली का त्यौहार का विशेष धार्मिक महत्व होता है। होली के साथ त्यौहार है जिसे बैर मिटा देने वाला माना जाता है। यह दो दिनों का त्यौहार है जिसमें पहले दिन होली का दहन होता है तो अगले दिन रंगों से होली खेली जाती है। होली त्यौहार प्रेम और भाईचारे का संदेश देने वाला त्यौहार है तो होलिका दहन से बुराई पर एक बार फिर अच्छे की जीत का सबक मिलता है। होलिका दहन से प्रहलाद औ रहिरण्यकश्यप की कथा जुड़ी हुई है।
होलीका को न जलने का वरदान प्राप्त था
कहते हैं हिरण्यकश्यप की इकलौती बहन होलीका को न जलने का वरदान प्राप्त था,से विष्णु भक्त प्रहलाद को अपनी गोद में लेकर बैठने के लिए कहा जिसमें प्रह्लाद तो बच गया लेकिन होली का जलकर भस्म हो गई। इसके चलते हर साल होलिका दहन किया जाता है। यहां जानते हैं की होलिका दहन और किस दिन खेली जाएगी।
पंचांग के अनुसार ,फाल्गुन पूर्णिमा के दिन होलिका दहन किया जाता है और अगले दिन होली मनाते हैं। इस साल फाल्गुन पूर्णिमा 24 मार्च को सुबह 9:02 से शुरू होगी और इस तिथि का समापन अगले दिन यानी 25 मार्च को दोपहर 12:29 पर हो जाएगा। होलिका दहन इस साल 24 मार्च रविवार के दिन किया जाएगा। होलिका दहन का शुभ मुहूर्त रात 11:13 से लेकर 12:27 तक है। इसी बीच होलिका वाहन किया जा सकता है। होली 25 मार्च सोमवार के दिन मनाई जाएगी।
होलिका दहन की विधि
मान्यतानुसार अनुसार होलिका दहन करने से स्नान किया जाता है। होलिका दहन के लिए गोबर से होलीका और प्रह्लाद की प्रतिमा भी बनाई जाती है। गली के कोने पर या किसी खाली मैदान पर लकड़ियां और कंडे इकट्ठे करके रखे जाते हैं और इसे रात में जलाया जाता है। होलिका दहन की पूजा में मौली ,रोली ,फूलों की माला ,कच्चा धागा ,साबुत हल्दी, मूंग, नारियल और कम से कम पांच तरह के अनाज सामग्री।