Kalashtami 2024: बन जाएंगे बिगड़े हुए कार्य, बस कालाष्टमी पर इस मुहूर्त में करें काल भैरव की पूजा

Saroj kanwar
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कैलाश पर्वत का सनातन धर्म में बहुत अधिक महत्व है। कालाष्टमी के दिन भगवान शिव के रौद्र रूप काल भैरव की पूजा होती है। इस दिन जो भक्त सच्चे मन से काल भैरव की पूजा करते हैं उन्हें काल भैरव की कृपा प्राप्त होती है साथ हीउन्हें ग्रह दोष, शत्रुओं से मुक्ति मिल जाती है। मान्यता है की काल भैरव की पूजा करने से सारी मनोकामना पूरी हो जाती है । लेकिन इसके लिए काल भैरव की पूजा विधि विधान से करनी चाहिए जो लोग सच्चे मन से पूजा पाठ करते हैं उनके जीवन से जुड़ी सारी समस्याएं में दूर हो जाती है। आज इस खबर में जाने की कालाष्टमी का पर्व कब है ,पूजा सामग्री क्या है । कालाष्टमी की पूजा विधि मंत्र और महत्व क्या है।

प्रत्येक माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी का पर्व मनाया जाता है

वैदिक पंचांग के अनुसार ,प्रत्येक माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी का पर्व मनाया जाता है। अक्टूबर में कालाष्टमी का पर्व दो दिन बाद है। यानी 24 अक्टूबर को कालाष्टमी का पर्व मनाया जाएगा। कार्तिक माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि की शुरुआत 24 अक्टूबर को देदेर रात 1:18 पर होगी समाप्ति अगले दिन यानी की देर रात 1 बजकर 58 मिनट पर समाप्त होगी। ऐसे में कालाष्टमी में का व्रत 24 अक्टूबर को रखा जाएगा।

इस दिन सर्वार्थ सिद्धि, और अमृत सिद्धि योग का निर्माण हो रहा है। ऐसे में मुहूर्त में पूजा करने का बहुत ही shubh फल प्राप्त होता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ,कलषंटी के दिन बाबा काल भैरव की पूजा करने के लिए सबसे पहले आपको काल भैरव की मूर्ति लेनी होगी। उसके बाद धूप , दीप , फूल ,अक्षत ,रोली , चंदन , नैवेद्य, जल, कपूर आदि चीजें लें। मान्यता है इन चीजों के बिना पूजा अधूरी मान जाती है।

कैसे करें काल भैरव की पूजा


धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, कालाष्टमी के दिन काल भैरव की पूजा करने के लिए सबसे पहले इस दिन स्नान करके साफ कपड़ा पहनें।
उसके बाद घर के पूजा स्थल को अच्छे से साफ-सुथरा करके गंगाजल का छिड़काव भी करें।
काल भैरव की मूर्ति स्थापना या चित्र को रखने के लिए एक चौकी लें।
उसके बाद बारी-बारी से धूप, दीप, फूल, अक्षत, रोली और चंदन चढ़ाएं।
इन सब चीजों को चढ़ाने के बाद नैवेद्य अर्पित करें। इसके साथ ही काल भैरव के मंत्रों का जाप भी करें।
पूजा में काल भैरव चालीसा या स्तोत्र का पाठ जरूर करें।
अंत में आरती करें और भक्तों में प्रसाद वितरण करें साथ ही स्वयं प्रसाद ग्रहण करें।

पूजा के रखें इन बातो का ध्यान

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार , काल भैरव की पूजा में शराब का भोग लगाने की परंपरा है। ज्योतिषों के अनुसार का कालाष्टमी दिन काले या नीले रंग के वस्त्र पहनना शुभ माना जाता है। इस दिन व्रत रखने से काल भैरव की कृपा प्राप्त होती है साथ ही मन में किसी प्रकार का भय या नकारात्मक विचार नहीं आते हैं।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार , जो भक्त कालाष्टमी के दिन भैरव बाबा की पूजा विधि-विधान से करते हैं, उनकी सारी मनोकामना पूरी होती है। उसके साथ ही उन्हें सभी रोगों से मुक्ति मिल जाती है। आत्म विश्वास में वृद्धि होती है। कुंडली से ग्रह दोषों से मुक्ति मिल जातती है। व्यक्ति को सभी कार्य में सफलता मिलती है।

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