माना जाता है कि अगर देवी देवताओं की पूजा विधि विधान से की जाए तो वो प्र्शन्न होते और भक्तों की मनोकामना भी पूर्ण करते हैं। इस कड़ी में नवरात्रि की पूजा में भी कई विधान जिससे देवी प्रसन्न होती है वही गलती पर देवी देवता रुष्ट भी हो जाते है। नवरात्रि पूजा की शुरुआत कलश पर नारियल रखने के साथ होती है और समाप्ति कलश के नदी में प्रवाहित करने से होती है। लेकिन पूजा समाप्त होने के बाद कलश और नारियल को हटाने में अक्सर लोग गलतियां कर देते हैं।
कलश और नारियल को हटाने की विधि भी बताई गई है
शास्त्रों में नवरात्रि की पूजा की बात कलश और नारियल को हटाने की विधि भी बताई गई है। यदि इस विधि का पालन नहीं किया जाता है तो इस का प्रभाव घर परिवार और भक्त के जीवन पर नकारात्मक असर भी पड़ सकता है। कलश हटाने की विधि से लेकर हर बार लोग कन्फ्यूज हो जाते और गलती कर बैठते हैं।
दशमी को करें कलश प्रवाहित
ज्योतिष की माने तो देवी देवताओं की पूजा हमेशा विधि विधान के साथ ही करनी चाहिए।जिससे देवी देवता प्रसन्न होते हैं। वही 9 अप्रैल को चैत्र नवरात्रि के साथ माता दुर्गा की पूजा शुरू हो चुकी है और 17 अप्रैल को चैत्र नवरात्रि का समापन होगा। नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा कलश रखकर विधि विधान के साथ की जाती है । दशमी तिथि के दिन उसे कलश को नदी में प्रभावित किया जाता है।
व्रत का फल भी अशुभ हो सकता है
ज्योतिष के मुताबिक ,कलश को उठाने से पहले उसे पांच बार हिलाना चाहिए इसके बाद ही कलश को उठाना चाहिए। कलश के ऊपर एक नारियल भी रखा जाता है अगर आप उसे नारियल को गलत तरीके से हटाते हैं तो आप ऊपर नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव जा सकता है। नवरात्रि में की गई पूजा व्रत का फल भी अशुभ हो सकता है पूजा समाप्ति की के बादनारियल को गलत तरीके से नहीं हटना चाहिए । ऐसा करने से माता दुर्गा नाराज हो सकती है। इसलिए पूजा समाप्ति के बाद नारियल को लाल कपड़े में लपेटकर पूजा के स्थान पर सुरक्षित रख देना चाहिए।
दशमी के बाद प्रसाद के रूप में ग्रहण कर सकते हैं
अगर आप सुरक्षित नहीं रख सकते हैं तो दसवीं के दिन नदी में प्रवाहित कर देना चाहिए। अगर नदी में प्रवाहित भी नहीं कर सकते तो नारियल को दशमी के बाद प्रसाद के रूप में ग्रहण कर सकते हैं । ऐसा करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है इस नारियल को इधर उधर भूलकर भी न रखे।