शुक्राचार्य राक्षसों के गुरु थे उन्होंने अनेक ग्रंथो की रचना की। शुक्र नीति भी इनमें से एक है । एक नीति ने उन्हें बताया कि किन-किन चीजों को दूसरे के भरोसे नहीं छोड़ना चाहिए।
शुक्र निति के ,अनुसार ,पत्नी ,पैसा और पुस्तक को दूसरों के हवाले नहीं करना चाहिए नहीं तो यह नष्ट हो सकते हैं।
शुक्राचार्य के अनुसार ,अपनी पत्नी को भूलकर भी दूसरे पुरुष के आश्रित न छोड़े । दूसरा व्यक्ति आपकी पत्नी को बहला फुसलाकर या डर दिखाकर पथ भृष्ट कर सकता है।
गुरु शुक्राचार्य के अनुसार , पुस्तक ज्ञान का भंडार है इन्हें भी दूसरों को नहीं देना चाहिए क्योंकि वह व्यक्ति इसका ध्यान नहीं रख पाता तो उसके पास ये पुस्तक के नष्ट हो सकती है।
वही गुरु शुक्राचार्य के अनुसार -अपना पैसा भी कभी दूसरों की भरोसे ना छोड़े। क्योंकि धन देखकर किसी की भी नियत बदल सकती है। दूसरों के सहारे धन छोड़ने पर नुकसान आपका ही होता है।