उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार वाराणसी और प्रयागराज को मिलाकर एक नया आर्थिक क्षेत्र बनाने की तैयारी कर रही है। नीति आयोग की सलाह है के बाद इस पर काम शुरू हो गया। माना जा रहा है कि से पूर्वांचल की तस्वीर निखरेगी । उन दोनों इलाकों में धार्मिक पर्यटन के साथ कला और संस्कृति को भी बढ़ावा मिलेगा ।
इस क्षेत्र को अत्याधुनिक तकनीक के आधार पर विकसित किया जाएगा
इतना ही नहीं इस क्षेत्र को अत्याधुनिक तकनीक के आधार पर विकसित किया जाएगा जिससे यहां के युवाओं के लिए रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे। नीति आयोग ने सलाह दी है कि यह कितने ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के लिए अप को एक नया आर्थिक क्षेत्र विकास करना होगा । इसके तहत वाराणसी और प्रयागराज को मिलाकर एक नया आर्थिक क्षेत्र बनाने का सुझाव दिया गया है।
इस संबंध में नीति आयोग के सीईओ बीवीआर सुब्रमण्यम ने यूपी सरकार के मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह के सामने इसकी रूपरेखा पेश की है। इसमें इस क्षेत्र को धर्म ,कला और संस्कृति के साथ मैन्युफैक्चरिंग और लॉजिस्टिक्स का हब बनाने का प्रस्ताव रखा गया और यह बागवानी और डेयरी उद्योग को बढ़ावा की देने की भी बात कही गई है।
नया आर्थिक क्षेत्र बनने से बदले की तस्वीर
प्रयागराज और वाराणसी दोनों ही धार्मिक शहर है। यहां धार्मिकपर्यटन काफी अधिक है इसलिए क्षेत्र का विकास इस तरह की श्रद्धालु तीन से चार दिन तक रुके। निति आयोग के अनुसार क्षेत्र के विकास से 5 साल केभीतर या अर्थव्यवस्था में तेजी से विकास होगा। ये सात जिले हैं वाराणसी, प्रयागराज, चंदौली, जौनपुर, मिर्जापुर, गाजीपुर और भदोही। नीति आयोग के अनुसार वर्तमान में इस क्षेत्र की अर्थव्यवस्था 23 अरब डॉलर की है।
लेकिन आर्थिक क्षेत्र के विकास के बाद अगले पांच साल में इसके पांच से छह अरब डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है। इसके लिए एक नया प्राधिकरण बनाया जाएगा। जिससे इस क्षेत्र में आर्थिक गतिविधियों में तेजी आएगी और रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे। आयोग ने यहां के लिए 21 नई परियोजनाएं भी सुझाई हैं, जिन पर आगे काम किया जा सकता है।