राजस्थान सरकार ने प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था में सुधार करने के उद्देश्य से बड़ा कदम उठाया। राज्य सरकार ने हाल ही में कुछ सरकारी स्कूलों को बंद करने का फैसला किया। जो अब राज्य के जिलों में चर्चा का विषय बन चुका है।इस फैसले के तहत बीकानेर, जयपुर, पाली, ब्यावर, हनुमानगढ़, उदयपुर, जोधपुर और आमेर जैसे जिलों के सरकारी स्कूलों को बंद करने के आदेश जारी किए गए हैं। इस आदेश के बाद 10 दिनों के भीतर करीब 450 स्कूलों के साथ सरकारी स्कूलों के ताले लग चुके हैं।
बंद किए गए स्कूलों की संख्या और कारण
राज्य सरकार द्वारा बंद किए गए स्कूलों की संख्या 10 दिनों में काफी ज्यादा है इसमें 190 प्राथमिक स्कूल और 260 माध्यमिक स्कूल शामिल है। सभी स्कूल हिंदी मीडियम वाले थे और इनमें छात्र काफी संख्या कम थी जिससे उन्हें बंद करने का निर्णय लिया। सरकार ने इन स्कूलों को नजदीकी स्कूलों में मर्ज करने का आदेश दिया है, ताकि छात्रों को अच्छे शिक्षा का अवसर मिल सके।
12वीं तक के स्कूलों की बंदी और मर्जिंग प्रक्रिया
राज्य सरकार द्वारा बंद किए गए 260 स्कूलों में से 14 स्कूल 12वीं तक के थे। इन स्कूलों में बच्चों की संख्या बहुत कम थी जिसे सरकार ने बंद करके पास के नजदीकी स्कूलों में मर्ज कर दिए। इस कदम सरकार का उद्देश्य छात्रों को बेहतर शिक्षा देने के साथ-साथ स्कूलों की गुणवत्ता भी बढ़ता है। इसको बीकानेर ,जयपुर ,आमेर ,पाली ,ब्यावर ,हनुमानगढ़ ,उदयपुर ,जोधपुर में स्थित थे।
जीरो छात्र वाली संख्या 200 प्राइमरी स्कूलों की बंदी
राजस्थान सरकार ने 200 प्राइमरी और अपर प्राइमरी स्कूलों को बंद करने का आदेश दिया है। ये स्कूल जीरो छात्र संख्या के कारण बंद किए गए इन स्कूलों के पास के सेकेंडरी और सेकेंडरी सीनियर सेकेंडरी स्कूल में मर्ज कर दिया गया ताकि बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल सके इस फैसले के अजमेर ,कोटपूतली ,बहरोड ,अलवर, खैरथल ,तिजारा जैसे इलाके शामिल है।
सरकार का उद्देश्य और शिक्षा सुधार की दिशा
राजस्थान सरकार का यह कदम शिक्षा के क्षेत्र में सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। राज्य सरकार का उद्देश्य शिक्षा का स्तर बेहतर करना और सरकारी स्कूलों में विद्यार्थियों की संख्या बढ़ाना है। इन फैसलों का उद्देश्य यह भी है कि छोटे स्कूलों को मर्ज करके बड़े स्कूलों में संसाधन और शिक्षक बेहतर तरीके से उपलब्ध कराए जा सकें।