बारिश के मौसम में सोयाबीन की खेती को तबाह आकर सकता है ये कीट ,यहां जाने कृषि वैज्ञानिको के सुझाये उपाय

Saroj kanwar
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बारिश की मौसम में सोयाबीन की खेती करने वाले किसानों के लिए बेहतर महत्वपूर्ण खबर है। इस मौसम में सोयाबीन की फसल पर सफेद मक्खी की प्रकोप का खतरा बढ़ जाता है। इससे फसल को 25% तक नुकसान हो सकता है। यदि प्रकोप अधिक होता है तो इससे भी अधिक नुकसान होने की संभावना हो सकती है। इसमें किसानों को सोयाबीन की किट सफेद मक्खी के बारे में जानकारी होना जरूरी ताकि सफेद मक्खी का प्रकोप से फसल को बचाया जा सके। आज हम आपको सोयाबीन की फसल में सफेद मक्खी की प्रकोप से बचाव की जानकारी देना चाहते हैं।

सफेद मक्खी की कई प्रजातियां पाई जाती है

सफेद मक्खी की कई प्रजातियां पाई जाती है। लेकिन सोयाबीन में सबसे अधिक जुड़ी हुई स्वीटपोटैटो व्हाइट फ्लाई, बेमिसिया टैबैसी है। सफेद मक्खी एक चुसका कीट है की जो अपरिपक्व और वयस्क दोनों अवस्थाओं में पौधों के रस को चूसकर अपना भोजन प्राप्त करता है। सफेद मक्खी के निम्फ पत्तियों के निचले हिस्से को खाती हैं।

सोयाबीन के खेतों में जहां खरपतवार अधिक होती है वहां पर सफेद मक्खी का प्रयोग अधिक देखा गया है ऐसे में सोयाबीन के खेत में निराई गुड़ाई करके खरपतवार को निकाल कर खेत से दूर कहीं फेंक देना चाहिए। एक वयस्क सफेद मक्खी की लंबाई करीब 1/16 इंच होती है। इसके चार सफेद पंख और पीले रंग का शरीर होता है । पंख शरीर के ऊपर छत की तरह होते हैं और पट्टी की सतह पर करीब समांतर होते हैं इसके निम्फ अकार में चपेट होते हैं और स्केल कीटों के जैसे दिखाई देते हैं।

सफेद मक्खी के प्रकोप से सोयाबीन की फसल को बचाने के लिए कृषि वैज्ञानिकों की ओर से कुछ उपाय बताए गए हैं जिन्हें अपनाकर सोयाबीन में होने वाले नुकसान को कम कर सकते हैं।

ये उपाय या तरीके इस प्रकार से हैं-

सोयाबीन और सब्जियों की फसलों में खरपतवार नियंत्रण के लिए निराई-गुड़ाई करें।
सभी फसलों पर सफेद मक्खी और रस चूसक कीटों की नियमित निगरानी करें।
सोयाबीन की फसल में पक्षियों के बैठने के लिए टी आकार की बर्ड पर्चेस लगाएं। इससे कीटभक्षी पक्षियों द्वारा कीटों, मक्खी और इल्लियों की संख्या कम करने में मदद मिलेगी।

पक्षी दाने को नुकसान नहीं पहुंचा पाएं

यदि आप सोयाबीन की फसल को नुकसान से बचाने के लिए की टी आकार की खुट्टियाँ खेत में लगाना चाहते हैं तो आप इसको फसल के बीच लगाना चाहिए। किसान प्रति हैक्टेयर में 25 से 40 खूंटियां लगा सकते हैं। खेतों में पक्षी अगर बैठेंगे तो इल्लियां को खाकर फसल को नुकसान से बचाएंगे । किसानों को इस बात को ध्यान रखना चाहिए की फली में दाना भरते समय खूंटियों को निकाल देना चाहिए ताकि पक्षी दाने को नुकसान नहीं पहुंचा पाएं।

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