Pradhan Mantri Awas Yojana : प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ लेने वाले इन लोगों से एक-एक लाख की होगी वसूली, जारी किए नोटिस

Saroj kanwar
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एमपी में जिन लोगों ने प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत पहली किश्त की राशि ले ली, लेकिन उसके बाद भी मकान का निर्माण कार्य शुरू नहीं किया। मकान बनाने के लिए जो राशि आई थी, उससे मकान बनाने की बजाए दूसरे कामों पर खर्च कर दिया। ऐसे लोगों पर सरकार सख्त हुई है और उन लोगों से प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत पहली किश्त के तौर पर लिए गए एक-एक लाख रुपये की राशि को वापस लेने का निर्णय लिया है।

मध्यप्रदेश के ग्वालियर में  गरीब आवासहीनों को पक्का आवास मुहैया कराने के लिए प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) चलाई जा रही है। योजना के बीएलसी (स्व-निर्माण) घटक के तहत केदारपुर के 55 हितग्राही ने आवास निर्माण के लिए शासन से प्रथम किश्त की राशि एक-एक लाख रुपए तो आवास बनाने के नाम पर ले लिए, लेकिन जैसे ही खाते में यह राशि आई तो उसका उपयोग आवास बनाने के लिए न करते हुए दूसरे काम में कर लिया और आवास निर्माण का कार्य प्रारंभ ही नहीं कराया है।

ऐसे अब सभी हितग्राहियों से प्रथम किस्त की राशि वसूल की जाएगी और ऐसे लोगों का नाम भी प्रधानमंत्री आवास योजना से हटाया जाएगा। हालांकि पूर्व में भी जिले से 72 ऐसे लोगों से वसूली की लिस्ट तैयार कर निगम ने कलेक्टर को भेजी थी, जिसमें से कुछ लोगों ने जमा किए तो कुछ ने नहीं। नोडल अधिकारी प्रधानमंत्री आवास मनीष यादव ने बताया कि आवास निर्माण के लिए केदारपुर के 55 हितग्राही जिन्हें प्रथम किश्त की राशि एक-एक लाख रुपए दी थी।

लेकिन उन्होंने अब तक आवास निर्माण का कार्य शुरू नहीं कराया है। निगम ने जब नोटिस भेजा तो उसका भी कोई जवाब नहीं दिया है और न ही संपर्क कर रहे है। इससे ऐसा लगता है कि इन हितग्राहियों को आवास की आवश्यकता नहीं है या हितग्राही आवास निर्माण के इच्छुक नहीं है। इसलिए ऐसे सभी हितग्राही से अब वसूली की जाएगी। यदि कोई अभी भी कोई हितग्राही निर्माण कार्य कराना शुरू करना चाह रह है तो वह निगम मुख्यालय में सूचना दे सकता है।

प्रधानमंत्री आवास योजना नगर निगम में भी चलाई जाती है, इसमें बीएलसी घटक वाले हितग्राहियों को अपने प्लॉट पर मकान बनाने के लिए 2.5 लाख रुपए योजना के तहत दिए जाते हैं। इसमें पहली किस्त के रूप में 1 लाख रुपए बैंक खाते में आते हैं। जब हितग्राही मकान की नींव भरकर दीवारें खड़ी कर देता है तब जिओ टैगिंग होती है। इसके बाद दूसरी किस्त के रूप में 1 लाख और दिए जाते हैं।

वहीं दूसरी किस्त से मकान की छत डालने के साथ बिजली फिटिंग सहित अन्य कार्य होने के बाद फोटो खींचकर जिओ टैगिंग की जाती है। जियो टैगिंग में फोटो सही पाए जाने पर संबंधित अधिकारी द्वारा रिपोर्ट लगाई जाती है और उसके बाद फिर तीसरी किस्त के रूप में 50 हजार रुपए दिए जाते है। इसके बाद बने हुए मकान का प्रमाण पत्र संबंधित हितग्राही को दिया जाता है।

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