चावल एक स्टेबल डाइट जो दुनिया में लगभग सभी चारों से कहते हैं भारत में खास तौर से इसका महत्व है क्योंकि दाल के साथ चावल का मेल ही एक भारतीय थाली को पूरा करता है। आमतौर पर लोग सफेद चावल यानी व्हाइट राइस खाते हैं जिससे लंबे समय तक ज्यादा मात्रा में खाने से ब्लड शुगर लेवल है असंतुलित हो सकता है। इससे मोटापा ,डायबिटीज ,हाइपरटेंशन और अन्य बीमारियों होने का खतरा बना रहता है। क्योंकि इसमें अन्य राइस की तुलना में कार्बोहाइड्रेट की मात्रा ज्यादा होती है। इसमें डायबिटिक लोग ब्राउन राइस खाते हैं जो एक ही एक हेल्थी विकल्प माना जाता है।
ब्लैक राइस का प्रचलन भी बढ़ा है
लेकिन इस श्रेणी में ब्लैक राइस का प्रचलन भी बढ़ा है जो कई महीनो में फायदेमंद माना जा रहा है। हर रोचक तथ्य को जानने के लिए इस राईस में मौजूद तत्वों को समझना जरूरी है। दरअसल काले चावल में एंथोसायनिन नाम का एक पिगमेंट पाया जाता है जो इसके काले रंग के लिए जिम्मेदार है । ये बेहतरीन बेहतरीन एंटी ऑक्साइड होता है इसलिए ब्लैक राइस ब्लैक रंग का होता है।
ब्लैक राइस के फायदे
खास डायबिटिक और हार्ट पेशेंट के लिए ब्लैक राइस और भी लाभकारी है, आइए जानते हैं कैसे-
ब्लैक राइस में विटामिन, अमीनो एसिड, फ्लेवोनॉयड और ढेर सारे मिनरल के बेहतरीन स्रोत है।
ब्लैक राइस में भरपूर फाइबर पाया जाता है जिसके कारण ये कब्ज दिलाने में बहुत सहायक है।
फाइबर के अधिक मात्रा के कारण यह कोलेस्ट्रॉल लेवल को भी कंट्रोल में रखता है। इस तरह ये पाचन शक्ति बढ़ाने के साथ हार्ट हेल्थ के लिए भी काफी फायदेमंद है।
ब्लैक राइस ढेर सारे फाइटोन्यूट्रिएंट और एंटी ऑक्सीडेंट का भंडार है। ये ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस से शरीर को बचाते हैं। ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस के कारण कैंसर जैसी घातक बीमारी होने का खतरा बना रहता है। इसलिए ब्लैक राइस की सेवन सेएंथोसायनिन, ग्लाइकोसाइड, कैरोटेनॉयड और फ्लेवोनॉल जैसे एंटीऑक्सीडेंट शरीर को बीमारियों से बचने में मदद करते हैं।
ब्लैक राइस का ग्लिसमिक इंडेक्स 42 से 50 के बीच होता है जिसमें शुगर स्पाइक नहीं होता है। इस कारण में डायबिटिक लोगों के लिए राइस का बेहतरीन विकल्प है ।