एक बार जरूर जाये धरती के चाँद पर घूमने के लिए जो है भारत की सबसे खूबसूरत जगहों में से एक

Saroj kanwar
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जब भी भारत के स्वर्ग की बात होती है तो लेह लद्दाख का नाम जरुर लिया जाता है। यह जगह बर्फ,दर्रे , मठो और शांत वादियों के लिए जानी जाती है। बर्फ से बनी दीवारों के बीच से गुजरती सड़क पर चलने का अलग ही रोमांच है। वैसे आप अगर लेह लद्दाख घूमने जा रहे हैं तो यहां आपको चांद भी देखने को मिलेगा सुनकर हैरत हो रही होगी।

धरती का चांद कहते है

लेकिन ये सच है। अगर आप चाँद पर जाने का सपना देखते हैं तो लेह जिले में स्थित ऐसा गांव है जिसे धरती का चाँद कहते है। यह गांव काफी खूबसूरत है। कहते हैं यहां जाकर आप चाँद पर घूमने जैसा मजा ले सकते हैं। यहां जानते है इस गांव के बारे में। ऐसी कई जगह घूमने के लिए बहुत अच्छी मानी जाती है यही वजह है कि यहां पर हजारों देशी और विदेशी पर्यटक पहुंचते हैं। इनमें से एक गांव है लामायुरू। लेह से करीब 110 किलोमीटर की दूरी पर स्थित यह गांव बिल्कुल चाँद जैसे सुंदर है इसकी सुंदरता को निहारने के लिए लोग यहां पर बार-बार आना पसंद करते हैं ।

गांव की जियोग्राफी बिल्कुल चांद जैसी है

दूर-दूर तक वीरान पड़े इस गांव में चारों और बर्फ से ढके पहाड़ और साफ नीला पानी है। खास बात यह है कि इस पानी में चाँद की आकृति साफ नजर आती है। खास तौर से पूर्णिमा की रात को यहां की जमीन एक चाँद की तरह चमकने लगती है। इसलिए इस जगह को मून स्केप कहते हैं। कई लोगों का मानना है कि गांव की जियोग्राफी बिल्कुल चांद जैसी है।

यहां की स्थिति बिल्कुल चांद जैसी है

चाँद की तरह ही यहां ना तो पेड़ पौधे हैं न हीं हवा का दबाव महसूस होता है। यहां की स्थिति बिल्कुल चांद जैसी है। इसलिए इसे भारत का माउंटलैंड कहना गलत नहीं है। इस गांव की खूबसूरती बस चाँद से की सीमित नहीं है। एक और वजह है जिसे लोग यहां घूमने आते हैं वह है तारे।

जब रात के समय आसमान में टिमटिमाते तारे तो लगता है

वैसे तारे हमेशा आसमान में दीखते हैं लेकिन जब रात के समय आसमान में टिमटिमाते तारे तो लगता है की सारे के सारे जमीन पर आ गए। टिमटिमाते तारों का दिक्क्ष नजारा लोगों को काफी पसंद आता है।

मॉनेस्ट्री पहाड़ों पर बनी है इसे देखना वास्तव में बहुत अच्छा अनुभव है

यहां का मुख्य पर्यटन स्थल है अलामायुरू मोनेस्ट्री जिसे देखने के लिए दूर-दूर से सैलानी आते है इसे केवल लामायुरू गांव का ही नहीं बल्कि पूरे लेह लद्दाख का प्राचीन मठ माना जाता है। कहते हैं इस मोनेस्‍ट्री की खोज 11वीं शताब्दी में महासिदधाचार्य नारोपा ने की थी। पांच इमारत की यह मॉनेस्ट्री पहाड़ों पर बनी है इसे देखना वास्तव में बहुत अच्छा अनुभव है।

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