Delhi High Court : बहु को सास ससुर को पति के साथ अपनी लड़ाई घसीटने पर हाईकोर्ट ने लगाई फटकार ,सुनाया ये फैसला

Saroj kanwar
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चाचा ससुर बहू के बीच होने वाली चिकचिक बड़ा विवाद भी बन जाती है। कई बार झगड़ालू बहु घर शांति ही नहीं होने देती तो सास -ससुर ससुर खड़ा ज्ञान संज्ञा लेते समय एक मामले में हाईकोर्ट ने एक बहू के खिलाफ फैसला सुनाया जिसे अपने सास ससुर को लगातार परेशान किया। यह मामले तब सामने आया की जब पीड़ित ने सास ससुर ने अपनी बहू के खिलाफ कोर्ट में अर्जी लगाकर न्याय मांग की। कोर्ट ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए टिप्पणी की ओर स्पष्ट किया कि ऐसे कृत्य समाज में असहनीय है।

दिल्ली हाईक्रोट ने सुनाया फैसला

दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया जिसमें कहा गया कि एक ऐसी महिला को अपनी ससुराल में रहने का अधिकार नहीं है जो लगातार अपने बुजुर्गसास ससुर को परेशान करती है। अदालत ने यह स्पष्ट किया की संपत्ति के मालिक सास ससुर है तो वह बहू को उसे घर से बेदखल तक कर सकते हैं । उन्हें शांतिपूर्ण जीवन जीने का पूरा अधिकार है। अपनी संपत्ति में रहते हुए इसके लिए पूरी तरह से स्वतंत्र भी है।

यह निर्णय एक अपील पर आधारित है जिसमें एक महिला ने निचली अदालत के आदेश को चुनौती दी थी। हालाँकि अदालत ने माना था कि इस मामले में महिला को वैकल्पिक आवास दिया जाए। जब तक की उसकी शादी बनी रहे। इसफैसले से ने साझा घर के अधिकारों को संपत्ति के मालिक के अधिकारों के बीच संतुलन बनने पर जोर दिया ।


सास ससुर को शांति से रहने का अधिकार

अदालत की ओर से शासन की बहू के मामले सुनाए गए थे इसलिए में एक दूसरे संपत्ति के अधिकारों की रक्षा की गई है। न्यायाधीश ने कहा कि इस मामले में वृद्ध सास ससुर को शांति से जीवन जीना का हक है। वे अपनी बहू और बेटे के विवादों में फंसे रहने या उनकी चिकचिक झेलने को मजबूर नहीं हैं, न ही बहू या बेटे द्वारा ऐसा किया जा सकता। कोर्ट ने ये भी कहा की चूँकि दोनों पक्षों के बीच रिश्ते ठीक नहीं है तो यह उचित नहीं होगा की वृद्ध सास ससुर अपनी बहु के साथ रहे । ऐस में कोर्ट ने आदेश दिया है की एक वैकल्पिक आवास दिया जाये ताकि यह आदेश घरेलू हिंसा से महिलाओं की रक्षा के लिए बनाए गए कानून महिलाओं के संरक्षण अधिनियम की धारा 19 (1) (एफ) के तहत था। वृद्ध दंपति अपने बचे हुए जीवन को शांति से जी सकें।

पहले से ही पति रहता था किराये पर

अदालत ने मामले में स्पष्ट किया की दोनों पक्षों के बीच रिश्ते अच्छे नहीं थे पति को इससे बेहदथेष पहुंची पहुंची थी जिसके आवेश में आकर उसने पत्नी के खिलाफ भी शिकायत की थी। अनबन और और गृह क्लेश के चलते पति पहले से अलग किराए के घर में रह रहा था। उसने संपत्ति पर भी कोई अधिकार नहीं जताया तो कोर्ट ने कहा कि एक महिला को साझा घर में DV अधिनियम की धारा 19 के तहत रहने का अधिकार जरूरी नहीं है। खासकर जब स्थिति ठीक ना हो । इस मामले में दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि सास ससुर दोनों वरिष्ठ नागरिक है उनकी उम्र ही पहले से ही 70 साल के पार है इसलिए अपने जीवन का अंतिम पड़ाव शांति पूर्ण तरीके जीने के हकदार हैअदालत ने यह भी कहा कि उन्हें बेटे और बहू के झगड़े में शामिल नहीं किया जाना चाहिए, क्योंकि यह उनकी बुढ़ापे की जिंदगी में शांति भंग करने जैसा होगा।

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