प्रोटीन सप्लीमेंट्स का सेवन कर देगा आपकी किडनी और हड्डियों को खराब ,यहां जाने क्या कहा इस नए रिसर्च ने

Saroj kanwar
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इंडियन काउन्सिल ऑफ़ मेडिकल रिसर्च ने बॉडी बनाने के लिए प्रोटीन के सप्लीमेंट लेने से बचने पर जोर डाला है और बताया कि इसके बदले बॉडी मसल्स गैन और हेल्दी फूड खाये। और नमक का सेवन कम और सीमित मात्रा में करें। शुगर और अल्ट्रा प्रोस्टेट फूड का सेवन कम करने के साथ खाने की चीजों पर लगे लेवल पर लगी इनफॉरमेशन को पढ़ने की सिफारिश की है। टॉप हेल्थ रिसर्चर अनुसंधान निकाय के तहत हैदराबाद बेस्ड नेशनल इंस्टीट्यूट आफ न्यूट्रिशन के लिए आवश्यक पोषक तत्वों की आवश्यकताओं को पूरा करने और नॉन कम्युनिकेबल रोगों से बचने के लिए बुधवार को ‘डाइटरी गाइड लाइन्स फॉर इंडियंस ‘ जारी किए हैं।

बाकी कैलोरी नट्स ,सब्जियों ,फलों और दूध से आनी चाहिए

डीजीआई में एनआईएन ने कहा कि बड़ी मात्रा में प्रोटीन पाउडर को लंबे समय तक सेवन या हाई प्रोटीन कंस्ट्रेंट का सेवन बोन मिनरल लॉस और किडनी डैमेज के खतरे को बढ़ा सकता है। इसमें यह बताया गया है कि चीनी का पूर्ण ऊर्जा संभावना का 5% से कम होना चाहिए और एक संतुलित आहार को अनाज और बाजरे से 45% कैलोरी का लेनी चाहिए और दाल ,राजमा और मांस से से 15% तक कैलोरी ली जा सकती है। बाकी कैलोरी नट्स ,सब्जियों ,फलों और दूध से आनी चाहिए।

फैट संभावना का 30% से कमियां बराबर होना चाहिए

गाइडलाइन के अनुसार,कुल फैट संभावना का 30% से कमियां बराबर होना चाहिए। इसमें कहा गया की दालों और मांस की सीमित उपलब्ध और उच्च लागत के कारण ,भारतीय आबादी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा अनाज पर बहुत ज्यादा निर्भर है जिसके परिणाम स्वरुप आवश्यक मांग मैक्रोन्यूट्रिएंट्स और सूक्ष्म पोषक तत्वों का सेवन कम होता है। आवश्यक पोषक तत्वों की कम खपत मेटॉबॉलिज्म में को बाधित कर सकती है और कम उम्र से इंसुलिन प्रतिरोध और संबंधित विकारों का खतरा बढ़ा सकती है। अनुमान के अनुसार ,भारत में कुल रोग बोझ का 56.4 %अधिकांश अनुपयोगी आहार के कारण होता है।

मौतों के एक बड़े हिस्से को रोका जा सकता है

स्वस्थ आहार और शारीरिक गति विधि सीएचडी और HTN का बहुमूल्य हिस्सा कम कर सकते हैं और दो डायबिटीज को 80% तक रोक सकते हैं। एक सान्त्वनायुक्त युक्त आश्वासन करते हुए कहा गया की हेल्थी लाइफस्टाइल का पालन करने के समय से पहले होने वाली मौतों के एक बड़े हिस्से को रोका जा सकता है। इसमें कहा गया कि शुगर और पेट से भारी प्रोसेस्ड फूड आइटम्स की खपत में वृद्धि , कम फिजिकल एक्टिविटी और लिमिटेड एक्सेस टू डायवर्स फूड। इक्रोन्यूट्रिएंट की कमी और मोटापा बढ़ा देते हैं।

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