भारत सरकार ने वित्तीय सुरक्षा और सामाजिक सुरक्षा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दर्शाते हुए वर्ष 2015 में अटल पेंशन योजना की शुरुआत की है। यह योजना विशेष रूप से उन लोगों के लिए डिजाइन की गई है जो असंगठित क्षेत्र में काम करते हैं और जिनके पास नियमित रूप से आय प्राप्त करने के अवसर सीमित होते हैं। इस योजना का मुख्य उदेष्य वृद्धावस्था में आर्थिक आधार प्रदान करना है।
अटल पेंशन योजना की विशेषताएं
अटल पेशिओं योजना सबसे आकर्षक विशेषता है इसकी लागत-कार्यकुशलता है। 18 वर्ष की आयु से हर महीने मात्र 210 रुपए की निवेश से आप 60 वर्ष की आयु के बाद हर माह ₹5000 की स्थिति पेंशन निश्चित कर सकते हैं। इस तरह की न्यूनतम योगदान राशि का आम आदमी के लिए कम नहीं होती है जिसे आसानी से रोजमर्रा के खर्चों में शामिल किया जा सकता है। योजना में निवेश करने की उम्र 18 से 40 वर्ष के बीच निर्धारित की गई है जो युवा पीढ़ी की लंबी अवधि के लिए निवेश करने का अवसर प्रदान करती है। यह लंबी अवधि निवेश पर अधिक रिटर्न सुनिश्चित करने में मदद करती है और अधिकतम पेंशन लाभ प्राप्त करने की संभावना बढ़ाता है। इस योजना का एक महत्वपूर्ण पहलु यह है कि यदि सब्सक्राइबर की मृत्यु हो जाती है तो उनकी पेंशन की राशि उनके जीवनसाथी को दी जाती है। यह सुविधा ऊके के परिवार को वित्तीय रूप से संरक्षित करती और विधवा या विदुर को भी एक स्थिर आय प्रदान करती है।
नियामक संस्था और सुरक्षा
पेंशन फंड रेगुलेटरी और विकास प्राधिकरण इस योजना का संचालन करता है जिसमें इसमें निवेशित धन की सुरक्षा सुनिश्चित होती है। सरकारी नियंत्रण में होने के कारण यह योजना अधिक विश्वसनीय और सुरक्षित मानी जाती है। इस प्रकार अटल पेंशन योजना में केवल असंगठित क्षेत्र के लोगों को आर्थिक सुरक्षा प्रदान करती है बल्कि उनकी वित्तीय भविष्य को भी संरक्षित करती है। यह योजना एक स्थिर और सुरक्षित रिटायरमेंट लाइफ की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।