ट्रैफिक के बढ़ते शोर से दिल का दौरा और कई हृदय संबंधी बीमारियों खतरा बढ़ सकता है हाल ही में एक स्टडी में इस बात को साबित किया गया है ।दरअसल शोधकर्ताओं पाया कि ट्रैफिक के बढ़ते शोर से दिल की दौरे से लेकर हार्ट से जुड़ी के बीमारियों का जोखिम बढ़ सकता है। यहां जानते हैं क्या कहती है स्टडी।
शोर नींद में भी खलल की वजह बन सकता है
शोध बताता हैं कि यह शोर नींद में भी खलल की वजह बन सकता है और रक्त वाहिकाओं तनाव हार्मोन को स्तर को बढ़ा सकता है जिससे सूजन हाई ब्लड प्रेशर जैसी तकलीफों को बढ़ावा मिलता है। शोध कर्ताओ की अंतरराष्ट्रीय टीम ने महामारी विज्ञान के आंकड़ों की समीक्षा की है जो एक निश्चित बीमारी के जोखिम कारकों की पहचान करने की सबूत देते हैं।
कितना हो सकता है हार्ट अटैक का जोखिम
शोधकर्ताओं ने समीक्षा के दौरान पाया कि रोड ट्रैफिक से आने वाले शोर में हर 10 डेसीबल की वृद्धि पर दिल का दौरा ,स्ट्रोक और डायबिटीज समेत हृदय संबंधी बीमारियों के विकास का जोखिम 3.2% बढ़ जाता है। जर्मनी के यूनिवर्सिटी मेडिकल सेंटर मेंज की वरिष्ठ प्रोफेसर और शोध का नेतृत्व करने वाली थॉमस मुंजेल ने कहा कि ,हमारे लिए यह भी महत्वपूर्ण है कि ट्रैफिक शोर को अब मजबूत साक्ष्यों के कारण के लिए जोखिम कारक के रूप में मान्यता दी गई है।
शोध का निष्कर्ष सरकुलेशन रिसर्च पत्रिका में हाल ही में प्रकाशित हुआ है। शोधकर्ताओं ने स्थानीय अधिकारियों को सड़क , रेल और हवाई यात्रा के शोर को कम करने के लिए रणनीति भी सुझाई। उन्होंने कहा कि घनी आबादी वाले इलाकों में व्यस्त सड़कों पर शोर अवरोध लगाने से शोर की स्तर को 10 डेसिमल तक कम किया जा सकता है।