ज्योतिष कुंडली को देखकर व्यक्ति की भविष्यवाणी करते हैं इससे व्यक्ति के रोजगार ,कारोबार ,प्यार ,विवाह की जानकारी मिल जाती है। कुंडली के 12 भाव होते होते हैं। इनमें सप्तम भाव को विवाह भाव कहते हैं इस भाव को जीवन शक्ति का भाव भी कहा जाता हैं। इस भाव में शुभ ग्रहों के अनुसार जातकों की शादी के योग बनते हैं। शुभ ग्रहों के रहने पर शीघ्र शादी के योग बनते हैं या अशुभ ग्रहों के रहने पर शादी देर से होती है। इसके बारे में सब कुछ जान लेते है ।
बुध ग्रह
ज्योतिष की माने तो विवाह भाव में बुध ग्रह रहने पर शादी के योग शिकार बनते हैं हालांकि बुध ग्रह के साथ कोई अशुभ ग्रहों की उपस्थिति ना हो।
चंद्रग्रह
विवाह भाव में चंद्रमा के रहने पर शादी जल्दी हो जाती है साथ ही जातकों को मनचाहा जीवन साथी मिलता है। जातक का जीवन साथी सुशिल और धार्मिक प्रवृत्ति का होता है।
गुरु ग्रह
देवताओं के ग्रह गुरु बृहस्पति लड़कियों की विवाह के कारक माने जाते हैं। विवाह में गुरु के रहने पर शीघ्र शादी के योग बनते हैं। हालाँकि गुरु के साथ किसी पापी ग्रह की युति ना बने।
शुक्र ग्रह
लड़कों के विवाह के कारक शुक्र देव माने जाते हैं। कुंडली के विवाह भाव की शुक्र में रहने पर जाता है लड़के की यथाशीघ्र शादी हो जाती साथ ही मनचाहा जीवन साथी मिलती है। हालांकि शुक्र के साथ कोई पापी घर है ना रहे ।
अशुभ ग्रह
मंगल ,राहु , केतु और सूर्य शनि के रहने पर शादी में बहुत देरी होती है। कई बार जातक को लंबे समय तक इंतजार करना पड़ता है। वही काल सर्प दोष ,मंगल दोष ,गुरु चांडाल दोष , पितृ दोष आदि लगने पर जाति की शादी निवारण के बाद ही होती है।