Ratlam News: मध्य प्रदेश के रतलाम जिले में किसानों ने खेतों से खरपतवार खत्म करने के लिए जो दवा का स्प्रे किया था। उससे खरपतवार तो नष्ट नहीं हुआ और सोयाबीन की फसलें ही खराब हो गईं। पंचेवा में ही 400 बीघा से अधिक क्षेत्रफल में नुकसान हुआ है। इसके अलावा नोलखा, जेठाना सहित अन्य गांवों में 100 बीघा से अधिक नुकसान की खबर है। कृषि विभाग और वैज्ञानिकों ने जांच की तो प्रथमदृष्टया उक्त खरपतवारनाशक ही खराब निकली। दवा कंपनी के मालिक व मप्र मार्केटिंग हेड सहित 5 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की। इसमें पंचेवा का कृषि दवा विक्रेता भी आरोपी है।
जिले के पिपलौदा ब्लॉक में हुई 400 एकड़ फसल खराब
पिपलौदा ब्लॉक के वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी बृजमोहन सोलंकी ने बताया कि ग्राम पंचेवा में 40 से अधिक किसानों से हमने बात की। वहां 400 बीघा से अधिक में फसलें खराब हुईं। इन सभी ने एचपीएम केमिकल्स एंड फर्टिलाइजर लिमिटेड नई दिल्ली की बायोक्लोर नामक दवाई का स्प्रे किया था। मौका निरीक्षण पर फसलें खराब दिखीं और खरपतवार को कुछ नहीं हुआ। कालूखेड़ा और इंदौर के कृषि वैज्ञानिकों ने भी इसे लेकर जांच की। इस कंपनी की उक्त दवाई से ना सिर्फ पंचेवा बल्कि जावरा और जेठाना में भी फसल खराब हुई है। इसके अलावा आगर-मालवा, विदिशा, बुरहानपुर, देवास सहित अन्य जिलों में भी इसी दवाई से फसलें खराब होने की जानकारी मिल रही है। वहां भी संबंधित विभागों ने जांच की है। पंचेवा में भी प्रथमदृष्टया इसी बायोक्लोर (क्लोरीमुरोन इथाइल 25% डब्ल्यूपी) नामक दवाई से फसल खराब होना सामने आया है इसलिए एफआईआर की है।
कीटनाशी एक्ट के साथ ही धोखाधड़ी का भी प्रकरण दर्ज किया
पिपलौदा थाना पुलिस ने वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी सोलंकी की रिपोर्ट पर पंचेवा के आंजना ट्रेडर्स कृषि दवाई विक्रेता रितुराज आंजना, एचपीएम केमिकल्स एंड फर्टीलाइजर लिमिटेड नई दिल्ली के सीईओ एवं मालिक अशोक अग्रवाल, मप्र मार्केटिंग हेड सुजीत पंचारिया, कंपनी के क्वालिटी कंट्रोलर एवं कैमिस्ट मनीष पांडेय, मंगाराम और
अश्विनीकुमार के खिलाफ कीटनाशी अधिनियम 1968 की धारा 29 और बीएनएस की धारा 318 (2), 3 (5) में धोखाधड़ी करके खराब दवाई बेचने के नाम पर राशि हड़पने के मामले में एफआईआर दर्ज की है। पुलिस ने जांच शुरू की है।