दुधारू पशु में थनेला रोग फैलने से पशुपालको बड़ी हानि होती है। चलिए आपको बताते इस रोग होने के कारण और इससे अपने पशुओं कैसे बचाएं ।
खेती के साथ पशुपालन
खेती करने वाले किसान साथ ही साथ पशुपालन करते हैं। इससे उनकी आय में वृद्धि होती है। दूध ,दही खाने का मिलता है। पशुओं के साथ निकलने वाला गोबर और गोमूत्र खाद कीटनाशक बनाने के काम आता है। इस तरह खेती के साथ पशुपालन करना एक अच्छा विकल्प है। लेकिन दुधारू पशु में अगर थनेला रोग लग जाता है तो पशुपालकों को बड़ा नुकसान होता है। चलिए आपको इस रोग के बारे में बताते हैंइससे कैसे बचा जा सकता है यह भी जानेंगे।
पशुओ में थनेला रोग
थनैला रोग दुधारू पशु में लगता है , जैसे की गाय ,भैंस ,भेड़, बकरी आदि पशु की जान तक ले सकता है । यह रोग इस संक्रमण और पशुओं के धन के अंदर अंदरूनी भाग में होता है। यह रोग पशुओं को जकड़ता है तो उनके स्तन के आसपास सूजन , जलन और गर्माहट महसूस होगी जिसके कारण पशुओ की सेहत बिगड़ने लगती है और बहुत सुकून देने लगता है। पशुओं के दूध का रंग भी बदलने लगता है पशु परेशान नजर आएगा जिससे उसकी सेहत बिगड़ चुकी है।
थनेला रोग से अपने पशुओं को समय पर बचाना चाहिए। थनेला रोग फैलने के कारण होती है अगर यह कारण पैदा ना हो तो थनेला रोग से पशुओ को बचा सकते है। पशुओं को रहने के स्थान में गंदगी होना। पशुओ के स्तनों में सफाई न रखना , पशुओं को गंदा पानी देना या दूध पिलाना। जिस पशु को थनेला रोग है उसके संपर्क में होना आदि।
जिस पशु को थनैला रोग हुआ है, उस पशु से संपर्क होना आदि।
पशुपालकों को अपने पशुओं में थनेला रोग के लक्षण अगर दिखाई दे रहे है तो सबसे पहले उसे अन्य पशु से अलग कर दिया। साथ ही साफ़ सफाई का ध्यान रखना चाहिए जिस पशु को थनैला रोग हुआ है उसे सूखे स्थान पर रखें। पशु के स्तन की साफ सफाई पर पूरा ध्यान रखें। पशु को साफ पानी और आहार दे। फिर जल्द से जल्द पशु चिकित्सक से संपर्क करके दवाई खिलाना शुरू करें। जिससे समय रहते पशु की सेहत में सुधार आ जाए।