बड़े शहर में में रहने वाले वर्किंग प्रोफेशनल के लिए राइडिंग एप्स एक बहुत मददगार का जरिया बन चुकी है । उन्हें एक जगह से दूसरी जगह बहुत आसानी में जाने में मदद करती है। यह वजह है की मेट्रो सीरीज में अब ये एप लोगों की पहली पसंद बनी हुयी है।जो भले ही थोड़ा बहुत किराया ज्यादा ले। लेकिन एक कंफर्टेबल मीडियम पसंद बन रही है हालांकि जिस वक्त डिमांड ज्यादा होती है। हालाँकि जिस वक्त रीडिंग एप्स का किराया भी बहुत ज्यादा बढ़ जाता है। ज्यादा डिमांड के समय पर कैब्स का किराया नॉर्मल से कहीं ज्यादा होता है।
वह जरूरत के समय पर सबसे बड़ी खामी बन जाए
लिंक्डइन पर एक शख्स ने इससे जुडी एक पोस्ट डाली ,जिसने लोगो का ध्यान खिंचा और एक डिबेट शुरू हो गयी। लेकिन प्रोडक्ट मैनेजमेंट प्रोफेसर सूर्य पांडे ने पोस्ट डाली कैब सर्विस पर थोड़ा तंज कसते हुए कहा की उसे 1990 नंबर के स्टॉक मार्केट बूम से कंपेयर कर दिया। उन्होंने लिखा कि अगर उन्हें उबर के बढ़ते प्राइज के बारे में पता होता तो तो वो शेयर मार्केट की जगह इसी में इन्वेस्ट करते और हर्षद मेहता से आगे निकल जाते। आगे उन्होंने कहा कि यह आईरॉनिक नहीं है कि जिस प्रॉब्लम के लिए प्रोडक्ट बनाया गया है वह जरूरत के समय पर सबसे बड़ी खामी बन जाए।
1.8 किलोमीटर का किराया 699 नजर आ रहा है
उन्होंने स्क्रीनशॉट भी शेयर किया जिस पर उबर का 1.8 किलोमीटर का किराया 699 नजर आ रहा है । उन्होंने आगे लिखा उबर ,रेपिडो या ओला कुछ भी ले लीजिये सभी सर्विसेज कैब एसेसबिलिटी और अफोर्डेबिलिटी के लिए शुरू हुई थी और जरा सा कुछ होता है और यह ऐप्स 300% से ज्यादा की फीस डिमांड करते हैं। इस पोस्ट बॉक्स एक्सपीरियंस शेयर किये। एक यूजर ने तंज कसा 7.8 किमी के लिए 700 रु. का किराया ,कितना अफोर्डेबल है। एक यूजर ने लिखा ,बारिश के मौसम में सबका यही हाल होता है इससे अच्छा तो लिफ्ट ले लो।