बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारी के बीच राजनीति का माहौल गर्म है।राजद नेता तेजस्वी यादव ने ‘माई-बहिन मान योजना’ का ऐलान करके सियासी हलकों में हलचल मचा दी है। इस योजना के तहत ,तेजस्वी यादव ने वादा किया है कि उनकी सरकार बनने पर बिहार की हर महिला को हर महीने ₹2500 दिए जाएंगे। इस कदम को आगामी चुनाव में महिलाओं के वोटबैंक को साधने के लिए एक बड़ा दांव माना जा रहा है।
बिहार में अगले साल अक्टूबर में विधानसभा चुनाव प्रस्तावित है जहाँ NDA और महागठबंधन के बीच कड़ी टक्कर देखने को मिल सकती है। हालांकि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पास पिछले 20 वर्षों की उपलब्धियां का बखान करने के लिए बहुत कुछ है ,लेकिन एंटी-इनकमबेंसी एक बड़ी चुनौती बन सकती है। इसी परिप्रेक्ष्य में तेजस्वी यादव का यह कदम महिला वोटरों को रिझाने की कोशिश है।
राजनीति का नया केंद्र बिंदु महिला वोटबैंक
आज की राजनीति में महिलाओं की भूमिका किंग मेकर के रूप में उभर रही है दिल्ली में अरविंद केजरीवाल की सफलता हो या झारखंड और महाराष्ट्र के चुनाव, महिला वोटरों ने अपनी ताकत का अहसास कराया है बिहार की बात करें तो, नीतीश कुमार ने महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए कई योजना चलाईं ,, जिनमें ‘साइकिल योजना’ और ‘पढ़ी-लिखी बेटी’ जैसी पहलें शामिल हैं। माना जाता है कि 2020 में नीतीश कुमार को महिलाओं का समर्थन ही जीत तक ले गया था।
तेजस्वी यादव ने ‘माई-बहिन मान योजना’ के जरिए इसवोट बैंक को अपने पक्ष में करने की रणनीति बनाई है । लेकिन सियासी जानकार मानते हैं की लड़ाई इतनी आसान नहीं होगी। एनडीए इस स्थिति को भांप कर महिलाओं के लिए नई योजनाओं का ऐलान कर सकता हैअगर नीतीश सरकार महिलाओं को 2500 रुपये की जगह 2700 रुपये देने की घोषणा करती है, तो तेजस्वी यादव को अपनी योजना में बदलाव करना पड़ सकता है।
माई-बहिन मान योजना’ का सियासी प्रभाव
इस योजना का सीधा प्रभाव ग्रामीण और शहरी दोनों वर्गों की महिलाओं पर पड़ सकता है। बिहार की 48% महिला आबादी का झुकाव चुनाव में निर्णायक हो सकता है। योजना की टाइमिंग पर सवाल उठाए जा रहे हैं, क्योंकि इसे आदर्श आचार संहिता लागू होने से पहले घोषित किया गया। कुछ लोगों का मानना है कि इससे तेजस्वी यादव को नुकसान भी हो सकता है, क्योंकि एनडीए इस योजना का काउंटर प्लान बना सकता है।