भारत में गन्ने की खेती किसानों के लिए नगदी फसल के रूप में की जाती है यह एक ऐसी फसल है जिसके किसानों को काफी लाभ होता है। वहीं दूसरी ओर इससे नुकसान की संभावना भी बनी रहती है। ऐसे में गन्ने की फसल का ध्यान रखना जरूरी है ताकि इसे बेहतर पैदावार प्राप्त की जा सके। गन्ने की खेती करने वाले किसानों के लिए कृषि विभाग की ओर से हर महीने गन्ने में किए जाने वाले कार्यों की जानकारी जारी की जाती है। इसके लिए बाकायदा गन्ना कैलेंडर बना हुआ है। इसे हर माह के हिसाब सेगन्ने की की जाने वाली क्रियाओ की जानकारी दी गयी है।
किसानों को अपने गन्ने की फसल का विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता है
अगस्त का महीना आने वाला है। ऐसे में किसानों को अपने गन्ने की फसल का विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता है। अगस्त के महीने में गन्ने की फसल नीचे दिए गए काम कर लेने से उन्हें गन्ने से स्वस्थ और बेहतर उत्पादन मिलता है। अगस्त के महीने में गन्ने की फसल की काफी अहम होता है। इस महीने गन्ने की फसल में कीट ,रोग आदि लगने की समस्या रहती है। । वही बारिश के कारण जल भराव की समस्या रहती है इससे किसानों को फसल नुकसान होता है। ऐसे मेंकिसान अगस्त महीने में गन्ने की फसल में कुछ काम करके नुकसान से बच सकते है और बेहतर उत्पादन प्राप्त कर सकते है।
गन्ने की फसल में अगस्त के महीने में की जाने वाली प्रमुख कार्य इस प्रकार से है।
गन्ने की फसल को गिरने से बचने के लिए अगस्त के महीने में इसलिए इसकी बंधे करनी चाहिए। इसके लिए हर पंक्ति के प्रत्येक झुंड को उसकी सूखी पत्ती के मध्य में बंधाई करनी चाहिए।
जिन खेतों में हरी खाद के लिए ढेचा या सनई की बुवाई की गई थी, इसमें 45 से 60 दिन पूरा होते ही खेत में पाटा चलाकर दबा देना चाहिए व मिट्टी पलटने वाले हल से उलट पलट देना चाहिए। अच्छे परिणाम प्राप्त करने के लिए भी ढेंचा या सनई में बीते समय सुपर फास्फेट ना दिया गया हो तो 40 से 60 किलोग्राम फास्फेट प्रति हेक्टर की दर से फसल पलटने के बाद इसे देने देना चाहिए।
गन्ने की फसल से भरपूर लाभ लेने के लिए पांच प्रतिशत यूरिया पानी में घोलकर छिड़काव करें। छिड़काव के 1 दिन के अंदर बारिश हो जाने से यूरिया का प्रभाव कम हो जाता है।
बारिश के दिनों में यदि खेत में पानी भर गया हो तो उसकी निकासी की व्यवस्था करनी चाहिए।
गन्ने में खेत में खरपतवारों के मुख्य रूप से बेले पनप कर गन्ने के पौधों को लपेटकर चढ़ती हैं। गन्ने के पौधों को लपेटकर चढ़ती से करणी की बढ़वार पर बुरा प्रभाव पड़ता है। ऐसे में इन बेल रूपी खरपतवारों को हटाकर खेत से बाहर कहीं दूर फेंक देना चाहिए।
प्रदेश कीपूर्वी भाग में मध्य सितंबर से गन्ने की बुआई का काम शुरू हो जाता है । ऐसे में किसानों को अभी से अपने खेतों की बुवाई के लिए पौधशालाओं में गन्ने की विभिन्न जातियों का चुनाव कर लेना चाहिए और बीज का गणना प्राप्त करने की व्यवस्था करनी चाहिए ।
इस महीने में आमतौर पर कुंडवा , काना, विवर्ण, लालधारी, पोक्का रोग, गूदे की सड़न रोग भी लग जाते हैं। इसमें समय-समय पर फसल का निरीक्षण करते रहना चाहिए। यदि रोग प्रकोप दिखाई दे तो उसकी रोकथाम का उपयोग उपाय करना चाहिए।
इस महीने की गन्ने की फसल में चोटीबेधक, काला चिकटा, सफेद कीट, पायरिला, अंकुरबोधक, गुरूदासपुर बेधकर का प्रकोप दिखाई देता है ऐसे में फसल का निरीक्षण करें। यदि गन्ने की फसल में किसी रोग का लक्षण दिखाई दे तो उसकी रोकथाम के उपाय करने चाहिए।