सरकार पशुपालक किसानों के लिए कई तरह की योजना संचालित करती है। पशुपालक किसान योजना का लाभ उठाकर अपनी आमदनी में वृद्धि कर सकते हैं। कई बार दुधारू पशु गाय व भैंस के पशुपालन में किसानों को सामने कई तरह की समस्या आती है। इनमें सबसे प्रमुख दुधारू पशु द्वारा दूध का उत्पादन बंद करना है और उसकी मृत्यु होना है। आज हम आपको सरकार की ऐसी योजना के बारे में बता रहे जहा अगर आपका पशु दूध देना बंद कर देता है उसे सरकार द्वारा निर्धारित कारणों से होती है तो सरकार की खास योजना के तहत मुआवजा राशि मिलेगी।
राशि 44000 से लेकर 88000 तक हो सकती है
गाय भैंस की स्थिति में यह राशि 44000 से लेकर 88000 तक हो सकती है। अलग-अलग राज्य में अलग-अलग मुआवजा राशि पशुपालको को देते हैं। इसके लिए पशुपालको को बहुत कम प्रीमियम वसूला जाता है। इसके लिए हम आपको बताते हैं इस योजना के बारे में।
गांव में रहने वाले किसानों को पशुपालन की सबसे बड़ी संपत्ति उसका पशुधन है। पशुधन को किसी भी तरह का नुकसान होता है। सबसे पहले सबसे ज्यादा प्रभावित होता है उत्पादन के लिए गया भैंस-गाय पालते है। गाय व भैंस समय के साथ उम्रदराज होती है कई तरह की बीमारियां लग जाती है।उम्र बढ़ने के साथ थनेला रोग अधिक पनपता है। इसके बाद पशु दूध देना बंद कर देते हैं। हालांकि यह जरूरी नहीं है। थनेला रोग केवल उम्रदराज गाय भैंस में ही पहले बल्कि यह कम उम्र में भी जो दुधारू पसंद आ सकता है। लेकिन अधिक उम्र वाले पशुओ में थनेला रोग फैलने की अधिक संभावना होती है। वही यह रोग ब्यात के शुरू और अंत में अधिक पाया जाता है। इस रोग केबरसात के अलावा गर्मियों में पनपने की संभावना अधिक रहती है।
पशुपालक किसान पशुधन बीमा योजना के तहत अपने दुधारू पशुओं का बीमा कराते हैं
अगर पशुपालक किसान पशुधन बीमा योजना के तहत अपने दुधारू पशुओं का बीमा कराते हैं तो उन्हें थनेला रोग के कारण गाय व भैंस द्वारा दूध नहीं मिलने पर पशुपालक मुआवजे के दावा कर सकता है यह राशि बीमित पशु के बाजार मूल्य से अधिक नहीं होती है। ऐसे में यह राशि एक पशु के लिए 40 से 50 हजार रुपए से अधिक हो सकती है। पशुपालक अधिकतम दो पशुओं के लिए मुआवजे की राशि प्राप्त कर सकते हैं। अलग-अलग राज्य में यह भी राशि भिन्न होती है। पशुधन बीमा योजना केंद्र सरकार की एक महत्वपूर्ण सी योजना है। इस योजना का उद्देश्य पशुपालकों की पशुओ के जोखिम को कम करना है। बीमा के तहत पशुओ की मृत्यु के नुकसान की भरपाई की जाती है। पशुधन को स्वस्थ रखने के लिए सुविधा उपलब्ध कराई जाती है।
पशुधन बीमा योजना के तहत केवल स्वस्थ पशु का बीमा किया जाता है
पशुधन बीमा योजना के तहत केवल स्वस्थ पशु का बीमा किया जाता है। इसलिए बीमा से पहले पैसे चिकित्सा अधिकारी द्वारा दुधारू पशु का स्वास्थ्य परीक्षण किया जाता है और स्वस्थ पशु के कान में छल्ला यानी माइक्रोचिप लगाया जाता है। अगर दुधारू पशु का किसी दूसरी योजना में बीमा में है या अन्य योजना में शामिल है तो उनका इस योजना में बीमा नहीं किया जाता है। इसके लिए अधिकतम पशुपालन विभाग पशु किसी दूसरे व्यक्ति को बेच देता है तो भी पशु का बिमा बरकरार रहेगा। पशुधन बिमा योजना में पशुपालक को 4.5 प्रतिशत प्रीमियम व जीएसटी का भुगतान करना होता है। लेकिन केंद्र सरकार की ओर से पशुपालकों को राहत देते हुए कुल प्रीमियम नंबर 50% की सब्सिडी जाती है। इसके अलावा कुछ राज्य सरकार ने बीमा की राशि के प्रेमियों में अपने-अपने स्तर पर अनुदान की घोषणा की है। उत्तर प्रदेश के अनुसूचित जाति जनजाति में बीपीएल श्रेणी के लोगों को 90% तक सब्सिडी मिलती है जबकि सामान्य वर्ग के को 75 प्रतिशत तक सब्सिडी मिलती है। राज्य में प्रीमियम पर सब्सिडी की दर अलग-अलग है।
पशुधन बीमा योजना में आवश्यक दस्तावेज
आधार कार्ड
बीपीएल प्रमाण पत्र
अनुसूचित में जनजाति का प्रमाण पत्र
बीमित पशु का चारों तरफ से फोटो