स्ट्रॉबेरी की खेती के लिए किसानो को सरकार देगी 3 लाख रूपये की सहायता ,यहां जाने जाने इस योजना के बारे में

Saroj kanwar
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किसानों का परंपरागत फसलों की खेती के अलावा फलों व सब्जी खेती के लिए प्रोत्साहित किया जा रहे ताकि उनकी आय में वृद्धि हो सके । इसी उदेश्य से राज्य सरकार की ओर से स्ट्रॉबेरी की खेती के क्षेत्र विस्तार के लिए स्ट्रॉबेरी विकास योजना चलाई जा रही है। जिसके तहत प्रदेश के किसानों को ₹3 लाख की सब्सिडी दी जा रही है । सरकार का मानना है कि स्ट्रॉबेरी की खेती से किसान अपनी आय में इजाफा कर सकते हैं।

गत्ते का डिब्बा और प्लास्टिक का छोटा डिब्बा भी दिया जाएगा

बाजार में स्ट्रॉबेरी की मांग होने के कारण इसके भाव भी अच्छे मिल जाते हैं। ऐसे में इसकी खेती किसानों के लिए लाभ का सौदा साबित हो सकती है। स्ट्रॉबेरी विकास योजना के तहत इसकी खेती की सरकार की ओर से 40% सब्सिडी दी जाएगी। योजना के अनुसार ,स्ट्रॉबेरी की खेती की प्रति हेक्टयेर की इकाई की 8 लाख 40 हजार रुपए निर्धारित की गई है जिस पर 40% सब्सिडी दी जाएगी जिस पर किसान को3 लाख 36 हजार पौधे सहित एक मुश्त अनुदान दिया जाएगा। इसके अलावा स्ट्रॉबेरी का क्षेत्र विस्तार और उसकी पैकिंग के लिए गत्ते का डिब्बा और प्लास्टिक का छोटा डिब्बा भी दिया जाएगा।

राज्य के किसान प्रत्येक क्षेत्र के लिए सब्सिडी का लाभ उठा सकते हैं।

गत्ते के डिब्बे के लिए इकाई लागत ₹11 रुपए प्रति पीस और 40% अनुदान यानी की चार रुपए ₹40 दिए जाएंगे। वहीं प्लास्टिक के छोटे डिब्बे पर लागत 2.50 रुपए यानी 40% यानी ₹1की सब्सिडी दी जाएगी। स्ट्रॉबेरी की खेती पर न्यूनतम 0.25 एकड़ तथा अधिकतम 5 एकड़ के लिए अनुदान दिया जाएगा। ऐसे में राज्य के किसान प्रत्येक क्षेत्र के लिए सब्सिडी का लाभ उठा सकते हैं।

बिहार सरकार ने राज्य के 20 जिलों का चयन किया

स्ट्रॉबेरी की खेती के लिए बिहार सरकार ने राज्य के 20 जिलों का चयन किया जिसमें गोपालगंज ,जहानाबाद ,लखीसराय ,सहारनपुर ,औरंगाबाद ,बेगूसराय ,भागलपुर, गया ,कटिहार ,किशनगंज, मुंगेर ,मुजफ्फरपुर ,नालंदा ,पश्चिम चंपारण ,पटना ,पूर्वी चंपारण, पूर्णिया ,समस्तीपुर एवं वैशाली शामिल है। इसमें गया जिले को चार हेक्टर क्षेत्र में स्ट्रॉबेरी की खेती का लक्ष्य दिया गया है। स्ट्रॉबेरी की खेती की इच्छुक किसान स्ट्रॉबेरी विकास योजना के आधिकारिक वेबसाइट horticulture.bihar.gov.in पर जाकर आवेदन कर सकते हैं।योजना में आवेदन से संबंधित अधिक जानकारी के लिए किसान अपने जिले के उद्यान विभाग से संपर्क कर सकते हैं।

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