बच्चे के फैल होने के पीछे कही आपका तो हाथ नहीं ,यहां जाने उन कारणों के बारे में

Saroj kanwar
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आज हम आपके बच्चों के एग्जाम में फेल होने या मेहनत के मुताबिक रिजल्ट में खरा नहीं उतरने के पीछे कुछ कारणों के बारे में बताएंगे। ऐसे में आप इनके छिपे पीछे कुछ कारणों के कारणों कर सके जाहिर सी बात है माता-पिता के लिए लंबा जितना स्ट्रेस पर होता है उससे कहीं ज्यादा फर्क बच्चों पर भी पड़ता है।

जी हां , भले ही दिखाते ना हो लेकिन ऐसा ना हो उन उनके ऐसा होने पर उनके आत्मविश्वास में काफी कमी आ जाती है जिसका असर रोजमर्रा के कई कामों पर पड़ता है। इसलिए बेहतर है इसके कारणों को जान लेना ।

ट्यूशन पर निर्भर

बच्चे ही नहीं कई बार माता पिता भी समझने लगते हैं कि बच्चों को ट्यूशन लगवा दिया है अब काम खत्म। आपको बता दे ऐसा नहीं है कि बच्चों को सिर्फ ट्यूशन या कोचिंग मेंपढ़ने में सीरियस रहने की आदत हो जाती है जो आगे चलकर पढ़ाई से बोरियत या दूरी का कारण बनती है। इसमें ट्यूशन की छुट्टी होने पर बच्चों से पढ़ाई को हल्के में ले लेते हैं। सिलेबस का रिवीजन भी सही ढंग से नहीं कर पाते हैं।

बेसिक क्लियर ना होना

नई क्लासेस या सेमेस्टर की शुरुआती चैप्टर को अक्सर बच्चे हल्के में ले लेते। हैं ऐसे में पता ही नहीं लगता कि कब कब पढ़ाई पेंडिंग हो जाती है और बेसिक्स क्लियर ना रहने पर यह फिर आगे के चेप्टर भी सही से समझ में नहीं आ पाते ऐसे में बात को दिमाग में बिठा ले कि सिर्फ एग्जाम के पहले की कुछ रातों को काली करके अच्छे नंबर नहीं लाया जा सकता इसके लिए रोजाना की मेहनत जरुरी है।

टीचर से सवाल ना करना

टीचर जब पढ़ा रहे होते तक से बच्चे हाँ में ला रहे होते हैं। ऐसे में इस झिझक भी हो लेकिन यह बच्चों की पढ़ाई में बहुत बड़ा रोड़ा बन सकता है जरूरी है की समस्या को ट्यूशन वाली दे दीदी या भैय्या पर न छोड़कर अब आप अपने टीचर से भी डिस्कस करें । हमेशा याद रखें जितना ज्यादा सवाल पूछेंगे उतना ही एग्जाम में फायदा देखने को मिलेगा।

बच्चों पर दबाव

जी हां ,हर गलती जाने अनजाने बच्चों से नहीं होती है। वह एग्जाम में बेहतर प्रदर्शन नहीं कर पाए हैं तो इसके पीछे कई बार माता-पिता -भाई बहन या रिश्तेदारों का भी दबाव हो सकता है। रिश्तेदारों के दबाव को छोड़िए लेकिन माता-पिता भाई बहन अपने अंदर सुधार जरूर कर सकते है कोशिश करे की बच्चों के सामने बड़ी-बड़ी उम्मीदों को लेकर बात ना करें और उन्हें पड़ोसी के बच्चों का उदाहरण बिल्कुल ना दे। इससे उनकी परफॉर्मेंस खराब हो जाती है।

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