जंगल में जब जानवर ने किया खुद का जंगली पत्तो से इलाज ,देखकर अनुसंधान कर्ता भी हैरान

Saroj kanwar
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किसी जंगली जानवर द्वारा अपने घाव का उपचार औषधीय पौधों से भरने का पहला मामला एक नए अध्ध्य्यन में दर्ज किया गया। इंडोनेशिया में सुआक बालिंबिंग अनुसंधान स्थल अनुसंधान कर्ताओ ने देखा की एक नर सुमात्राई वनमानुष ने बार -बार पौधे को चबाया अपने गाल के ऊपर हुए घाव पर इसका रस लगाया।

लुप्त प्रायः लगभग 150 सुमात्राई वनमानुषों का घर है

मैक्स प्लैंक इंस्टिट्यूट ऑफ एनिमल बिहेवियर जर्मनी के इसाबेल लॉमर ने कहा ,वनमानुष के दैनिक अवलोकन के दौरान , हमने देखा कि की राकस नाम के एक न्र के चेहरे पर घाव गया था सम्भवतः पड़ोसी नर के साथ लड़ाई के दौरान ऐसा हुआ। अनुसंधान स्थल एक संरक्षित वर्षा वन क्षेत्र है जो लुप्त प्रायः लगभग 150 सुमात्राई वनमानुषों का घर है। टीम में यूनिवर्सिटी नेशनल इंडोनेशिया के अनुसंधान कर्ता शामिल थे।

दर्द निवारक ,सूजन रोधी औरघाव भरने जैसी संबंधी महत्वपूर्ण अन्य गुणों के लिए जानी जाती है

अनुसंधानकर्ता ने बताया कि चोट लगने की 3 दिन बाद राकस ने लियाना की पत्तियों को चुनिंदा रूप सेचबाया और इसके रस को चेहरे के घाव पर कई मिनट तक बार-बार लगाया। उन्होंने कहा कि आखरी कदम के रूप में उसने चबाई गई पत्तों से घाव को पूरी तरह से ढक लिया। लॉमर ने बताया की , दक्षिण पूर्व एशिया की उष्ण कतिय जंगलों में पाए जाने वाले पौधे और संबंधित लियाना प्रजाति अपने दर्द निवारक ,सूजन रोधी औरघाव भरने जैसी संबंधी महत्वपूर्ण अन्य गुणों के लिए जानी जाती है।

जंगल में जब जानवर ने किया खुद का जंगली पत्तो से इलाज ,देखकर अनुसंधान कर्ता भी हैरान

पत्रिका साइंटिफिक रिपोर्ट में प्रकाशित अध्ययन के लेखक लॉमर ने कहा है कि पौधों का उपयोग पारंपरिक चिकित्सा मलेरिया , पेचिश और मशुमेह जैसी विभिन्न बीमारियों की इलाज के लिए किया जाता है। अनुसंधानकर्ताओ को चोट के बाद के दिनों में घाव के संक्रमण का कोई लक्षण नहीं दिखा। उन्होंने यह भी देखा की घाव 5 दिन के अंदर भर गया और एक महीने में पूरी तरह से ठीक हो गया। लॉमर ने कहा की , दिलचस्प बात ये है कि घायल होने पर राकस ने सामान्य से अधिक आराम किया। नींद घाव भरने सकारात्मक प्रभाव डालती है। उन्होंने राकस की समझदारी ,व्यवहार की प्रकृति को समझाया जिसमे जिसमें चुंनिंदा रूप से अपने घाव का इलाज किया और शरीर के किसी अन्य हिस्से पर पौधे का रस नहीं लगाय।

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