इस बार जन्माष्टमी पर बन रहे है इतने सारे संयोग और महूर्त ,जिनमे पूजा करने से होगी पूजा सफल ,यहां जाने शुभ महूर्त

Saroj kanwar
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कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर दशकों के बाद द्वापरकालीन शुभ संयोग का निर्माण हो रहा है। इन योग में भगवान श्री कृष्ण की पूजा करने से सदा की आवृत्ति को दो कुन फल प्राप्त होता है वैदिक पंचांग के अनुसार भाद्रपद माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 26 अगस्त को देर रात 3:39 पर शुरू की स्थिति का समापन जाता है इस अगस्त को दे रहा 2:19 पर होगा भगवान श्री कृष्ण की पूजा के लिए शुभ समय 27 अगस्त को दे रात 12:01 से लेकर 12:45 तक इस समय में अधिक साधन भगवान श्री कृष्ण की पूजा कर सकते हैं।

भाद्रपद्र माह के कृष्णपक्ष की अष्टमी तिथि पर दशकों बाद द्वापर कालीन शुभ योग का निर्माण हो रहा है इन शुभ योगू में कृष्ण भगवान की पूजा करने पूजा का फल दोगुना मिलता है ।
शुभमहूर्त

वैदिक पंचांग के अनुसार भाद्रपद्र कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 26 अगस्त को देर रात 3 बजकर 39 मिनट पर होगी। इस तिथि का समापन 27 अगस्त को देर रात 02 बजकर 19 पर होगा। भगवान श्री कृष्ण की पूजा के लिए शुभ समय 27 अगस्त को देर रात के 12 बजकर 01 मिनट से लेकर 12 बजकर 45 मिनट तक है। इस समय भगवान श्रीकृष्ण की पूजा कर सकते है। सावन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर कृतिका नक्षत्र संयोग 03 बजकर 56 मिनट से हो रहा है भगवान श्री कृष्ण का समय रोहिणी नक्षत्र का संयोग रहा। इस दिन चंद्रमा भी वृष राशि में रहेंगे। चंद्रमा का गोचर 25 अगस्त को रात 10:19 पर वृषभ राशि में होगा। अतः मन के कारक चंद्र देव भी वृषभ राशि में रहेंगे। भगवान श्री कृष्ण की लग्न राशि वृषभ है। इस शुभ अवसर पर हर्षण योग का निर्माण रात 10:18 से हो रहा है। वही स्वार्थ सिद्धि योग का संयोग संध्या काल 3:55 से हो रहा है। इस योग का समापन 27 अगस्त को सुबह 05 बजकर 57 मिनट पर हो रहा है। इसके अलावा भाद्रपद में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर शिव वस् का निर्माण हो रहा है। इस और शुभ अवसर भगवान शिव कैलाश जगत की देवी मां गौरी के साथ विराजमान रहते हैं।

हर वर्ष भाद्रपद्र माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर कृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाती है। इस दिन जगत के पालनहार भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ था । इस शुभ अवसर पर कृष्ण मंदिर को भव्य तरीके से सजाया जाता है। साथ ही मंदिर में विशेष पूजा का आयोजन किया था। साधक भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को व्रत रखकर कृष्ण कन्हैया की भक्ति भाव में पूजा करते हैं साथ ही भजन कीर्तन के माध्यम से भगवान का गुणगान करते हैं।

द्वापरकालीनशुभ संयोग का निर्माण हो रहा है

कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर दशकों के बाद द्वापरकालीनशुभ संयोग का निर्माण हो रहा है। इन योग में भगवान श्री कृष्ण की पूजा करने से सदा की आवृत्ति को दो कुन फल प्राप्त होता है वैदिक पंचांग के अनुसार भाद्रपद माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 26 अगस्त को देर रात 3:39 पर शुरू की स्थिति का समापन जाता है इस अगस्त को दे रहा 2:19 पर होगा भगवान श्री कृष्ण की पूजा के लिए शुभ समय 27 अगस्त को दे रात 12:01 से लेकर 12:45 तक इस समय में अधिक साधन भगवान श्री कृष्ण की पूजा कर सकते हैं।

भाद्रपद्र माह के कृष्णपक्ष की अष्टमी तिथि पर दशकों बाद द्वापर कालीन शुभ योग का निर्माण हो रहा है इन शुभ योगू में कृष्ण भगवान की पूजा करने पूजा का फल दोगुना मिलता है ।


शुभमहूर्त

वैदिक पंचांग के अनुसार भाद्रपद्र कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 26 अगस्त को देर रात 3 बजकर 39 मिनट पर होगी। इस तिथि का समापन 27 अगस्त को देर रात 02 बजकर 19 पर होगा। भगवान श्री कृष्ण की पूजा के लिए शुभ समय 27 अगस्त को देर रात के 12 बजकर 01 मिनट से लेकर 12 बजकर 45 मिनट तक है।

इस समय भगवान श्रीकृष्ण की पूजा कर सकते है। सावन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर कृतिका नक्षत्र संयोग 03 बजकर 56 मिनट से हो रहा है भगवान श्री कृष्ण का समय रोहिणी नक्षत्र का संयोग रहा। इस दिन चंद्रमा भी वृष राशि में रहेंगे। चंद्रमा का गोचर 25 अगस्त को रात 10:19 पर वृषभ राशि में होगा। अतः मन के कारक चंद्र देव भी वृषभ राशि में रहेंगे। भगवान श्री कृष्ण की लग्न राशि वृषभ है। इस शुभ अवसर पर हर्षण योग का निर्माण रात 10:18 से हो रहा है। वही स्वार्थ सिद्धि योग का संयोग संध्या काल 3:55 से हो रहा है। इस योग का समापन 27 अगस्त को सुबह 05 बजकर 57 मिनट पर हो रहा है। इसके अलावा भाद्रपद में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर शिव वस् का निर्माण हो रहा है। इस और शुभ अवसर भगवान शिव कैलाश जगत की देवी मां गौरी के साथ विराजमान रहते हैं।

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