इस नवरात्रि में वैष्णो देवी के आलावा इन देवियो के मंदिरो के भी करे दर्शन ,जो बने है ऊँची पहाड़ियों पर

Saroj kanwar
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भारत में इन दिनों हर जगह चैत्र नवरात्रि की तैयारी चल रही है। इन दिनों लोग देवी मां के दर्शन के लिए दूर-दूर मंदिरों में जाते हैं। बता दें की देश भर में देशभर में देवी माँ के भवन शक्तिपीठ स्थापित है। माता रानी के ज्यादातर मंदिर पहाड़ों पर बसे ऊंचाई पर बने मंदिरों तक पहुंचाने के लिए भक्तों को कई सीढियाँ चढ़नी पड़ती है। तब जाकर मां के दर्शन का सौभाग्य प्राप्त होता है। इनमें सबसे ज्यादा प्रसिद्ध है कटरा में वैष्णो देवी माता का मंदिर। आज हम आपको वैष्णो देवी के अलावा पहाड़ों पर बेस माता के अन्य मंदिरों के बारे में बताने जा रहे हैं। जहां यात्रा करके आपको आनंद प्राप्त होगा।

बमलेश्वरी देवी मंदिर

बमलेश्वरी मंदिर छत्तीसगढ़ को 16 फीट ऊंची पहाड़ी की चोटी पर बना है। मंदिर राजनांदगांव जिले के डोंगरगढ़ शहर में स्थित मंदिर तक पहुंचाने के लिए आपको 1100 सीढ़ियां चढ़नी होगी जो लोग सीढ़ियां नहीं चढ़ सकते उनके लिए रुकने की व्यवस्था है। पुरानी मान्यताओं के अनुसार , एक समय में इस जगह को कामाख्या नगरी के नाम से जाना जाता था। नवरात्रि में आप इस मंदिर की दर्शन करना चाहते हैं तो रायपुर एयरपोर्ट पर पहुंचकर कैब या बस से 72 किलोमीटर का सफर तय करना होगा। इसके अलावा यहां पर रेल कनेक्टिविटी भी अच्छी है।

अधर देवी मंदिर

माउंट आबू से 3 किलोमीटर दूर पहाड़ी पर स्थित अधर देवी मंदिर माता के 52 शक्तिपीठ में से एक है। कहा जाता है कि जब माता के 52 टुकड़ेहुए है। उनके अधर इसी स्थान पर गिरे है। इसलिए अधर माता का मंदिर बना। इस मंदिर तक पहुंचाने के लिए 350 सीढ़ियां चढ़ कर जानी पड़ती है। एक विशाल गुफा के अंदर माता की मूर्ति स्थापित है। कहते हैं कि यहां मां ने बस काली बसकाळी राक्षश अपने पैरों के नीचे कुचल दिया था । इसलिए यहां उनके पैरों की पूजा की जाती है। स्कंद महापुराण की 16 वे अध्याय में इस मंदिर को 5500 वर्ष से भी ज्यादा पुराना बताया जाता है।

चामुंडेश्वरी मंदिर

नवरात्रि के दिनों में अगर आप देवी मां से किसी तीर्थ स्थल के दर्शन करना चाहते हैं तो कर्नाटक में चामुंडेश्वरी देवी मंदिर अच्छा विकल्प है। यह मंदिर कर्नाटक के मशहूर शहर से कुल 13 किलोमीटर दूर से 30 फीट ऊंची चामुंडी नामक मंदिर पर बना है। द्रविड़ वास्तु कला से निर्मित मंदिरकाफी और कलात्मक है। इस मंदिर के पीछे महाबलेश्वर को समर्पित एक छोटा सा मंदिर भी है जो हजार साल से मैं ज्यादा पुराना है। चामुंडेश्वरी मंदिर पहुंचने के लिए आपको ट्रेन से मैसूर पहुंचना होगा।

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