हमारे देश में भगवान की प्रति आस्था के साथ भोग के प्रसाद से भी गहरा लगाव है। देश में कुछ मंदिर ऐसे भी है जहां हर दिन सैकड़ो किलोग्राम भोजन परोसा जाता है। किसी मंदिर में छप्पन भोग भी परोसने की परंपरा है । उस प्रसाद को भक्तों को भी विकसित किया जाता है। इन मंदिरों का प्रसाद इतना स्वादिष्ट होता है कि लोगों लोगों को यहां भगवान की भक्ति के साथ प्रसाद के भी दीवाने हो जाते हैं।
जगन्नाथ मंदिर पूरी ,महा प्रशाद
हिंदू धर्म उड़ीसा स्थित जगन्नाथ मंदिर को चार धामों से एक माना जाता है। यहां पर स्थित भगवान जगन्नाथ को महाप्रसाद चढ़ाया जाता है जिसे 56 वह कहते हैं। यह महा प्रसाद 56 प्रकार के खाद्य पदार्थों को एकत्रित करके मिट्टी के बर्तन में लकड़ी पर तैयार किए जाते हैं। इस प्रसाद को तैयार करने के लिए 1000 रसोइये प्रतिदिन कड़ी मेहनत करते हैं। कहा जाता है कि इस महा प्रसाद को ग्रहण करना बहुत सौभाग्य की बात होती है। मान्यता है कि यह प्रशाद चाहे कितने भी लोग भी लोग आ जाये तो प्रसाद कभी कम नहीं पड़ता। यह महा प्रशाद खाने में जितना दिव्य है खाने में इतना ही स्वादिष्ट होता है।
तिरुमला तिरुपति मंदिर प्रसाद
भारत के सबसे प्राचीन मंदिरों में से तिरुमाला मंदिर है देश के सबसे अमीर मंदिरों में से एक माना जाता है। एक साथ इसके साथ यह मंदिर अपने प्रसाद के रूप में मिलने वाले लड्डू के लिए प्रसिद्ध है। इस मंदिर के रसोई में प्रतिदिन लाखों लोगों के लिए कई तरह-तरह के दक्षिण भारतीय भोजन बनाया जाता है मंदिर का रसोई सौर ऊर्जा द्वारा संचालित है जहां लगभग 1100 रसोइये प्रतिदिन भोजन तैयार करते हैं । उसे प्रसाद के रूप में वितरित करते हैं।
कोयंबटूर के मुरुगन मंदिर का पंचामृत
तमिलनाडु में कोयंबटूर के दक्षिण पूर्व में लगभग डेढ़ सौ किलोमीटर दूर पलानी में अरुलमिगु दंडायुधपानी मंदिर स्थित है। भारत का एकमात्र हिंदू मंदिर है जहां प्रसाद को भौगोलिक संख्या टैग दिया गया। प्रसादम केले , गाय के दूध ,घी ,गुड़। शहद और इलायची से बनाया जाता और कभी-कभी से खजूर और चीनी भी डाली जाती है।
स्वर्ण मंदिर अमृतसर का लंगर
अमृतसर के स्वर्ण मंदिर मंदिर में लंगर प्रतिदिन इतना कड़ा प्रसाद ,चावल , दाल ,रोटी सब्जी बनाई जाती है की यह आप चाहे तो साल भर में भी ना खा पाए। पूरे सेवा भाव के साथ इनके रसोई में पकाया गया लंगर पेट के साथ ही आपकी आत्मा को भी सुकून को संतुष्टि प्रदान करता है।