नवरात्रि का छठे दिन होती है माँ के इस स्वरूप की पूजा ,इस विधि से पूजा करने से होगी विवाह की अड़चने दूर

Saroj kanwar
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इस साल 9 अप्रैल से शुरू हुए चैत्र नवरात्रि में 14 अप्रैल रविवार को माता की मां कात्यायनी रूप की पूजा होगी । ऋषि कात्यायन की पुत्री होने के कारण माता को कात्यायनी नाम मिला है। माता के रूप की पूजा अर्चना से विवाह संबंधी रुकावटें दूर होने के साथ-साथ सिद्धि की प्राप्ति होती है। आईए जानते हैं माता के कात्यायनी स्वरूप विधि पूजा और मंत्र कात्यायनी स्वरूप में माता चार भुजा धारी है। माता का यह रूप शस्त्र धारण करने वाला है । शेर पर सवार बांये भुजा कमल और खड्ग धारण करती है और दाएं भुजाये स्वास्तिक पर आशीर्वाद की मुद्रा में है।

राक्षस राज महिषासुर का संहार किया था

माता ने इसी रूप में राक्षस राज महिषासुर का संहार किया था। दानवो ,पाइयो और असुरो का नाश करने के कारण माता को महिषासुर मर्दिनी कहते हैं। पुराणों के अनुसार , ऋषि कात्याय की पुत्री के रूप में जन्म लेने के कारण माता को कात्यायनी नाम मिला है।

माता के इस रूप को श्रृंगार की वस्तु चढ़ानी चाहिए

चैत्र नवरात्रि की छठे दिन माता के कात्यायिनी सवरूप की पूजा करने के लिए सुबह स्नान करने के बाद पीले वस्त्र धारण कर हाथों के लाल पुष्प लेकर माता का आहान करे। मंदिर या पूजा स्थल को गंगाजल से पवित्र कर पूजा विधि शुरू करें। माता को पुष्प ,रोली ,अक्षत ,कुमकुम अर्पित करें। माता के इस रूप को श्रृंगार की वस्तु चढ़ानी चाहिए।

नवविवाहिताओं के जीवन में आ रही अड़चने दूर होती है

इसके लिए लाल रंग की चुनरी ,सिंदूर ,बिंदी ,लाल चूड़ियां ,माता को चढ़ावा अर्पित करें और देसी घी का दीपक जलाएं पूजा के दौरान ‘ॐ देवी कात्यायनी नमः ‘का मंत्र का जाप करें। माता के स्वरूप की पूजा से विवाह में आ रही परेशानियों से मुक्ति मिलती है। शीघ्र विवाह के योग बनते हैं नवविवाहिताओं के जीवन में आ रही अड़चने दूर होती है।

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