त्रिपुरा राज्य भारत की पूर्वोत्तर भाग में सात बहन राज्यों में से एक है । सन 1927 को इसे भारत का अधिकारिक राज्य घोषित किया गया। सभी प्रकृती प्रेमियों के लिए एक ड्रीम डेस्टिनेशन है। ऊँची -ऊँची पहाड़ियों पर स्थित भारत का तीसरा सबसे छोटा राज्य पर्यटन की दृष्टि से अत्यंत सुंदर और सुगम स्थल है। अगर आप छुट्टियों में झरनो ,विस्मय पहाड़ , घने जंगलों इतिहास और परंपरा का आनंद लेना चाहते हैं तो त्रिपुरा से कोई अच्छी जगह कोई नहीं है। त्रिपुरा के पर्यटन स्थल कला और संस्कृति का खूबसूरत नजारा पेश करते हैं। आज इस कड़ी में हम आपको त्रिपुरा के कुछ प्रमुख स्थलों की जानकारी देने जा रहे हैं जो पर्यटकों के बीच चर्चा का विषय बनते हैं। आइये जानते हैं इनके बारे में।
उज्जयंता पैलेस
उज्जयंता पैलेस त्रिपुरा राज्य में घूमने के लिए सबसे अच्छी जगहों में से एक है। यह वहां के सभी इतिहास प्रेमियों के लिए एक स्वर्ग है। वर्तमान में न केवल त्रिपुरा राज्य विधानसभा है बल्कि पूर्व शाही महल भी है। यह 1901 के आसपास बनाया गया था उज्जयंता पैलेस में घुमावदार और भव्य लकड़ी की छत ,टीले वाली फर्श और शानदार दरवाजे हैं। अगरतला के केंद्र में स्थित उज्जयंता पैलेस त्रिपुरा राज्य का एक जरूरी स्थान है जो आपके स्थानीय लोगों के साथ घूमने मिलने में मदद करेगा।
नीर महल
द लेक पैलेस ऑफ त्रिपुरा त्रिपुरा या नीर महल पुरे भारतीय उपमहाद्वीप पर सबसे बड़ा महल है या उन दो जल महलो में से एक है जो हमारे देश में है।यह महल पूर्व शाही महल राजा बीर बिक्रम किशोर माणिक्य बहादुर के महान दृष्टिकोण का परिणाम है। यह राजा और उनके परिवार के लिए ग्रीष्मकालीन महल था। नीर महल में शाम को लाइट एंड साउंड शो भी दिखाया जाता है। इसके अलावा वॉटर स्पोर्ट्स एक्टिविटी भी करवाई जाती है। हर साल महल में जल उत्सव भी आयोजित किया जाता है। मंडल द्वारा आयोजितनौका दौड़ में हिस्सा लेने के लिए लोगों का एक बड़ा झुंड महल में आता है इसलिए आप जब भी अगरतला जाए तो इस महल की यात्रा करना ना भूले। इस महल की यात्रा के दौरान आप नाव की सवारी भी कर सकते हैं औररूद्र सागर झील के माध्यम से नाव की सवारी से ही महल से तक पहुंच सकते हैं।
त्रिपुरा सुंदरी मंदिर
त्रिपुरा की राजधानी अगरतला की तकरीबन 55 किलो मीटर दूरी पर स्थित एक अत्यंत प्राचीन और सुंदर महल है। इसलिए इसका नाम त्रिपुरा सुंदरी मंदिर रखा गया है। इसे देखने के लिए दूर -दूर से लोग आते हैं। खूबसूरती के साथ एक आस्था का भी केंद्र है। अगर हम बात करें तो इसकी भव्यता के बारे में तो यह मंदिर 51 शक्तिपीठ में से है जिसका निर्माण आज से लगभग 500 साल पहले करवाया गया था। यह मंदिर त्रिपुरा के उदयपुर जिले में स्थित है। इस मंदिर की ऐतिहासिकता साथ-साथ सुंदरता के लिए भी जाना जाता है क्योंकि उसके ऊपर की गई तो अद्भुत नकाशी औरकलाकृतियां पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती हैं। यहां पर भगवान विष्णु के सुदर्शन चक्र को सती माता के को 51 टुकड़ों में काट दिया था यहां काली माता का एक भव्य और दिव्य मंदिर है। यहां पर दीपावली के समय दीपों का उत्सव धूमधाम से मनाया जाता है इस मंदिर पर तीर्थ यात्री जानवरों की बलि चढ़ाते हैं।
सिपाहीजला वन्यजीव अभयारण्य
विभिन्न प्रकार के वन्य जीव और प्राइमेट्स के लिए यह स्थान न केवल एक वन्य जीव अभ्यारण है बल्कि एक शैक्षणिक और अनुसंधान केंद्र भी है। अअभयारण्य के भीतर विभिन्न झीलें मौजूद हैं, जहाँ नौका विहार की सुविधा उपलब्ध है। आवासीय पक्षियों , प्रवासी पक्षी ,ऑर्किड गार्डन ,नोखा विहार सुविधाओं वन्य जीवन वनस्पति उद्यान ,चिड़ियाघर, हाथी आनन्द-सवारी, रबर और कॉफी बागानों की 150 से अधिक प्रजातियां पूरे साल पर्यटकों को आकर्षित करती हैं। पशु प्रेमियों के लिए यहां चश्माधारी बंदर काफी प्रसिद्ध है बंदरों की यह जाति केवल इसलिए अभ्यारण में देखने को मिलती है।