जगन्नाथ रथ यात्रा के लिए रथ बनाने वाले कारीगरों को करना पड़ता है इन नियमो का बहुत ही कड़ाई से पालन

Saroj kanwar
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उड़ीसा की पूरी में भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा को विश्व भर में ख्याति प्राप्त है। बता दें की इस रथ यात्रा में भगवान जगन्नाथ , बहन सुभद्रा और बड़े भाई बलभद्र तीन अलग-अलग रथो पर विराजमान होकर नगर भर्मण करते है। इस वर्ष होने वाले भव्य रथ यात्रा के लिए रथो का निर्माण कार्य 10 मई से शुरू हो सकता है जिसमें 320 कारीगर प्रतिदिन 14 घंटे इस कार्य में जुटे हुए हैं।

भगवान जगन्नाथ मंदिर के सिंह द्वार 70 से 80 मीटर की दूरी पर किया जा रहा है

रथ यात्रा का निर्माण कार्य भगवान जगन्नाथ मंदिर के सिंह द्वार 70 से 80 मीटर की दूरी पर किया जा रहा है। इन रथो के के निर्माण में जुटे सभी कारीगरों को कड़े नियमो पालन करना होता है। बता दें की 35 से 40 डिग्री भीषण गर्मी में भी सभी कारीगर 12 से 14 घंटे का निर्माण कार्य में जुटे है। साथ ही रथ यात्रा की मर्यादा और अटूट श्रद्धा बनाए रखने के लिए सभी कारीगर 10 जुलाई तक केवल एक बार भोजन ग्रहण करेंगेसाथ ही प्याज -लहसुन का सेवन वर्जित है।

इस समय कठिन दिनचर्या का पालन करते है ताकि थकान बिमारी से दूर रहे

यह सभी इस समय कठिन दिनचर्या का पालन करते है ताकि थकान बिमारी से दूर रहे। भगवान की रथ यात्रा में तीन रथो की ऊंचाई और आकार अलग होती है । बता दे रथ निर्माण के लिए खास लकड़ियों का प्रयोग किया जाता है। इन लकड़ियों के नाप के लिए कोई भी आधुनिक औजार का प्रयोग नहीं किया जाता है। बल्कि 20 इंच के ‘जादू की छड़ी’ से नाप लेकर इस कार्य को पूरा किया जाता है। इस लकड़ी के टुकड़े को जादू की छड़ी इसलिए कहा जाता है क्योंकि इससे कभी भी रथों के ऊंचाई या चौड़ाई में अंतर नहीं आया है।

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