लोन की EMI को लेकर सुप्रीम कोर्ट का फरमान ,मामले पर इस तरह से की कार्यवाही

Saroj kanwar
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अक्सर व्यक्ति अपने पैसों से संबंधित जरूरत को पूरा करने के लिए लोन का सहारा लेता है। एक बार तो मुश्किल का हल निकल जाता है लेकिन बाद में लोन चुकाना कई बार मुसीबत की घंटी बन जाता है। कई बार ऐसी स्थिति भी आ जाती है कि बैंकों के द्वारा लोन धारक के घर वसूली के लिए एजेंट भेजे जाने लगते हैं। ऐसे में बैंकों के एजेंटो की तरफ से लोन समय पर भुगतान नहीं करने पर लोन लेने वाले व्यक्ति को प्रताड़ित किया जाता है।

शिकायत मिले तो पुलिस कड़ी कार्रवाई करें

आपने बहुत बार ऐसा सुना होगा ऐसे मामले में अक्सर विभिन्न मिडिया माध्यम से आते रहते हैं ऐसा ही एक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने लोन लेने वाले व्यक्ति के पक्ष में फैसला सुनाया है साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने लोन वसूली वाली संस्था के खिलाफ आरोप पत्र विधायक करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने हाल ही में एक ऐसा मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि बैंकों का लोन मशहूरने वाली संस्थाएं मानो गुंडों का एक गिरोह मालूम पड़ती हैं। यह संस्थाएं अपनी ताकत का इस्तेमाल से लोन धारकों को तंग करती है। ऐसे में अगर संस्थाओं के खिलाफ शिकायत मिले तो पुलिस कड़ी कार्रवाई करें।

मुआवजा वसूलकर पीड़ित कर्ताओ को देने का हुक्म पुलिस को दिया है

इतना ही नहीं इस मामले पर पुलिस कोर्ट सुप्रीम कोर्ट ने लोन लेने वाले व्यक्ति की अर्जी पर सुनवाई करते हुए पुलिस को आरोपी लोन वसूली संस्था के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल करने का आदेश दिया। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिसउज्जल भुइयां की पीठ ने लोन वाली वसूली एजेंट से मुआवजा वसूलकर पीड़ित कर्ताओ को देने का हुक्म पुलिस को दिया है।

मुआवजे की रकम तय कर रिकवरी से इसकी वसूली करने का आदेश दिया

सुप्रीम कोर्ट ने जिस मामले अपनी कलम चलाई है इसके बारे में बताते है। पूरा मामला कोलकाता के देवाशीष बी रायचौधुरी का है। मिली जानकारी के अनुसार ,उन्होंने बैंक ऑफ़ इंडिया से बस खरीदने के लिए 2014 में 15 लाख का लोन लिया था। दिसंबर 2014 में उसका भुगतान 26502 रूपये मासिक के जरिये 84 महीने में होना था ।

बस के कागज बैंक के पास गिरवी थे। कुछ महीने भुगतान होता रहा फिर भुगतान नहीं हुआ तो बैंक की रिकवरी एजेंट ने पहले धमकाया फिर दुर्व्यवहार किया। इसके बाद बस को जप्त कर लिया। इतना सब होने के बाद इसको लेकर कोलकाता के देदोवाशीष बी रायचौधुरी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका की सुनवाई पीठ ने इसे अनुचित मानते हुए मुआवजे की रकम तय कर रिकवरी से इसकी वसूली करने का आदेश दिया।

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