जैसा कि आप सभी जानते हैं कि जब कोई सरकारी कर्मचारी रिटायर होता है रिटायरमेंट होने पर उसके कर्मचारियों को पेंशन, ग्रेच्युटी, PF आदि जैसी चीजों का लाभ प्राप्त होता है। और जिस समय कोई सरकारी कर्मचारी रिटायर होते हैं तो उसे समय कर्मचारियों को बहुत से फॉर्म भरने पड़ते हैं। उन्ही फॉर्म में एक अंडरटेकिंग भी होता है। इस अंडरटेकिंग में स्वीकार किया जाता है की वहीं अगर आपको अधिक भुगतान कर दिया जाता है सरकार उनसे वसूली कर सकती है।
अधिकतर कर्मचारी इस प्रकार के फॉर्म भर तो देते हैं परंतु उनका यह नहीं पता होता किकौन सा फॉर्म किस उद्देश्य से भरा गया है। इस प्रकार सरकार अधिक भुगतान की वसूली के लिए कर्मचारियों से अंडरटेकिंग लेती है।
क्या है पूरा मामला
आपको यह बता दें कि अक्सर देखा जाता है की सेवा के दौरान गलत फिक्सेशन या अन्य करने से आधुनिक भुगतान हो जाता है तो सरकार के द्वारा उसकी वसूली की जाती है जिसके लिए सरकार सभी कर्मचारियों से अंडरटेकिंग भी करवाती है जिससे कर्मचारी है स्वीकार करता है अगर उसको अधिक भुगतान कर दिया गया है तो सरकार उसकी वसूली कर सकती है। कहीं कोर्ट मामले में देखा गया अगर गलती कर्मचारियों की है तो वसूली की जा सकती है लेकिन अगर इसमें गलती भी वभाग या बैंक की है तो ऐसी स्थिति में वसूली नहीं की जा सकती है।
कोर्ट ने पेंशन धारक के पक्ष में सुनाता फैसला
आप सभी को यह बता दे की एक मामले में सामने आया है की जिसमें एक कर्मचारी को सेवा के दौरान गलत फिक्सेशन के कारण अधिक भुगतान मिल रहा था। उसके बाद जब कर्मचारी रिटायर हुआ तो उसकी वसूली का आदेश मिल गया। तो ऐसे में कर्मचारियों ने कहा कि हम इसमें उसकी कोई गलती भी नहीं है ,क्योंकि वह फिक्सेशन से लेकर पेमेंट तक सब कुछ विभाग ही करता है। उसके बाद फिर उसने कोर्ट की तरफ रुख किया तो उसके बाद कोर्ट ने उसके पक्ष में ही फैसला सुनाया।
सुप्रीम कोर्ट मे सरकार ने दी दलील
इस केस पर सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला सुनाया था कि अगर सेवा के दौरान किसी कर्मचारी को गलती से अधिक भुगतान कर दिया गया है तो रिटायरमेंट के बाद उसकी वसूली नहीं की जा सकती है। इसलिए रिटायरमेंट के बाद वसूली नहीं होनी चाहिए। सरकार ने इसके जवाब में कर्मचारियों द्वारा दिए गए अंडरटेकिंग का हवाला दिया। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने यह कहा की अकसर पेंशन ग्रेच्युटी रुके न रहें, इसलिए दबाव में अंडरटेकिंग देते हैं।इसके साथ-साथ आओ सभी को यह बता दे की सुप्रीम कोर्ट ने ऐसी अंडरटेकिंग को मान्यता नहीं दी है। इसके बाद कोर्ट ने सरकार की अपील को खारिज कर दिया।