सोलर पंप कृषि क्षेत्र में एक बड़ा बदलाव लेकर आए हैं। इन्हें फसलों की सिंचाई के लिए उपयोग किया जाता है और उनका मुख्य लाभ यह है कि ये जीवाश्म ईंधनों पर निर्भरता को खत्म कर देते हैं, जिससे प्रदूषण कम होता है और पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचते। 3 hp 10 एचपी तक के सोलर पंप किसानों को सिंचाई के लिए किफायती और टिकाऊ विकल्प प्रदान करते हैं।
इन पंपों को सोलर पैनल द्वारा संचालित किया जाता है जो सोलर ऊर्जा का उपयोग करते हैं। इससे बिजली में बदलकर पम्प को चलाते हैं सोलर पंप योजना भारत सरकार द्वारा की गई योजना है जिसका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में सिंचाई के लिए सोलर ऊर्जा का उपयोग बढ़ावा देना है। इस योजना के तहत किसानों को स्थापित करने के लिए सब्सिडी प्रदान की जाती है जिससे उन्हें बिजली बिलों की मुक्ति मिलती है और सिंचाई के लिए स्वच्छ और सस्ती ऊर्जा स्रोत उपलब्ध होता है।
सोलर पम्प की सब्सिडी
सोलर पंप की कीमत उनकी उसकी क्षमता पर निर्भर करती है । छोटे पंप कम महंगे होते हैं बड़े पम्प की कीमत थोड़ी ज्यादा होती है।
3 HP सोलर पंप:
कीमत: लगभग 1.2 से 1.3 लाख रुपये।
सब्सिडी: कुसुम योजना के तहत 50% से 60% तक की सब्सिडी मिलती है, जिससे वास्तविक कीमत लगभग 60,000 से 70,000 रुपये रह जाती है
5 HP सोलर पंप:
कीमत: लगभग 1.9 से 2 लाख रुपये।
सब्सिडी: 50% से 60% तक की सब्सिडी के बाद, इसकी लागत लगभग 95,000 से 1 लाख रुपये हो जाती है
7.5 HP सोलर पंप:
कीमत: लगभग 3 लाख रुपये।
सब्सिडी: 50% तक की सब्सिडी के बाद, किसानों को लगभग 1.5 लाख रुपये में यह पंप मिल सकता है
10 HP सोलर पंप:
कीमत: लगभग 3.5 से 3.6 लाख रुपये।
सब्सिडी: सब्सिडी के बाद, यह पंप लगभग 1.75 से 1.8 लाख रुपये का हो जाता है
सोलर पंप योजना के फायदे
सब्सिडी -कुसुम योजना के तहत किसानों को 50% से 60% तक की सब्सिडी दी जाती है जिससे सोलर पंप की वास्तविक कीमत काफी कम होती है।
बिजली बिल की बचत – सोलर पंप सोलर ऊर्जा से चलते हैं इसलिए डीजल की जरूरत नहीं होती इसी किसने की बिजली बिल यह डीजल का खर्चा भी काम हो जाता है।
अतरिक्त आय – यदि किसान अधिक बिजली पैदा करते हैं तो वैसे ग्रिड में बेच सकते हैं जिससे उन्हें अतिरिक्त आय हो सकती है।
सोलर पंप योजना का लाभ कैसे उठाएं
कुसुम योजना के तहत सोलर पंप का लाभ उठाने के लिए किसानों को सरकार की आधिकारिक की वेबसाइट पर आवेदन करना होता है। आवेदन प्रक्रिया में आधार कार्ड ,राशन कार्ड और जमीन के दस्तावेजों की जरूरत होती है। एक बार आवेदन सफलतापूर्वक जमा हो जाने के बाद संबंधित अधिकारियों द्वारा सत्यापन किया जाता है और यह सब्सिडी की प्रक्रिया पूरी होती है।