पंचांग के अनुसार ,सावन का महीना 22 जुलाई शुरू हो गया जिसका समापन को 19 अगस्त को होगा। सावन के महीने में शिव भक्त इंतजार करते हैं इस तरह देवों के देव महादेव की पूजा अर्चना की जाती है साथ ही उन्हें प्रिय चीजों का भोग लगाया जाता है। शिव जो को बिल्वपत्र भी चढ़ाया जाता है यहां जाने कब से शुरुआत हुयी थी भोलेनाथ को बिलपत्र चढ़ाने की।
समुन्द्र मंथन से विष निकला था जिसका नाम कालकूट था
धार्मिक ग्रंथो की मान्यता है कि समुन्द्र मंथन से विष निकला था जिसका नाम कालकूट था। शिवजी ने कालकूट विष पान किया था। धार्मिक मान्यता के अनुसार , इस विष के प्रभाव से महादेव का कंठ नीला पड़ गया जिसकी वजह से इसका इनका नाम नीलकंठ पड़ा।
कालकूट की प्रभाव से भगवान शिव का मस्तिष्क का अधिक गर्म हो गय। ऐसे में देवी देवताओं ने प्रभु की मस्तिष्क को शांत करने के लिए उन पर जल अर्पित किया साथ बेलपत्र भी चढ़ाए क्योंकि बेलपत्र की तासीर ठंडी होती है मान्यता है है कि तभी पूजा के दौरान महादेव को बेलपत्र अर्पित करने की शुरुआत है। इसे चढ़ने से प्रभु की कृपा प्राप्त होती ह।