बच्चों का सही पालन पोषण बहुत बड़ी जिम्मेदारी है। बच्चों की जरूरत से ज्यादा चिंता करना भी सही नहीं माना जाता और प्रोटेक्टिव पैरेंट अक्सर प्लास्टिक पेरेंटिंग करते हैं जो बच्चों के लिए सही नहीं है। यह आगे चलकर बच्चों को आत्मनिर्भर बनने में बाधा बन सकता है। यहां जानते हैं क्या है प्लास्टिक रैप क्या है। प्लास्टिक रिपेयरिंग इसका असर क्या पड़ता है ।
क्या है प्लास्टिक रैप पेरेंटिंग
बच्चों की सुरक्षा और बचाव के लिए बहुत ज्यादा और प्रोटेक्ट होना और बच्चे को हर चीज सोचकर बचाना की इससे चोट पहुंच सकती है। यह प्लास्टिक रैप पेरेंटिंग है। इसमें माता-पिता बच्चों की कीमती चीज की तरह प्लास्टिक में रैप करके रखना पसंद करते हैं।
प्लास्टिक रैप पेरेंटिंग की पहचान
ऐसे पेरेंट थोड़ी देर में जाकर बच्चों को देखते हैं उन्हें अकेले तो खेलने नहीं देते। बच्चे के बदले हर काम खुद करते हैं। पेरेंट की इन आदतों बच्चों में लाइफ स्किल डेवलप नहीं हो पाता है।
कैसे होते हैं पेरेंट
प्लास्टिक रैप पेरेंटिंग करने वाले माता-पिता बच्चों की पसंद पर कंट्रोल रखते हैं। उनकी डाइट से लेकर दोस्त बनने तक पर अपनी मर्जी चलाते हैं। उन्हें अपने बच्चों की हारने से भी डर लगता है। इसके कारण बच्चे बहुत सारी असली भावनाओं को अनुभव नहीं कर पाता है।
बच्चे पर असर
प्लास्टिक में पेरेंटिंग बनने वाले बच्चे अपने फैसले नहीं ले पाते है। उसे आगे चलकर अपने जीवन में छोटे-छोटे मामले में निर्णय लेने लेने परेशानी होती है। ये बच्चे आलोचना को सह नहीं पाएंगे इससे उनके आत्मविश्वास पर भी असर पड़ता है।