जब जब इस सृष्टि में संकटों का पहाड़ टुटा है भगवान विष्णु ने इसका निवारण किया है क्योंकि सृष्टि का पालन करने का दायित्व उनके पास है। श्री हरि के अवतारों ने अब तक धरती को कई बार दुष्टो से बचाया। भगवान का वराह अवतार भी इसलिए लिया गया था । वराह जयंती के दिन अगर भगवान वराह की उपासना की जाए या मानसिक रूप से प्रणाम किया जाए तो विष्णु का यह रूप आपके जीवन में चल रहे संकटों को दूर कर देगा। यह उपाय डूबते हुए बाहर निकलने में बहुत कारगर होते हैं ।
6 सितंबर शुक्रवार के दिन यानी भाद्रपद्र शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को वराह जयंती है। श्रद्धा भाव के साथ-साथ भगवान वाराह की उपासना से अनेक लाभ प्राप्त किया जा सकते हैं। ज्योतिष के मुताबिक ,जयंती के महत्व और उपाय।
भगवान विष्णु ने वाराह अवतार
भगवान विष्णु ने कई बार मत्स्य और कच्छप, वराह और न नृसिंहरूप, परशुराम रूप धारी ,राम और बलराम श्री कृष्णा ,कल्कि विज्ञानात्मा बुद्ध रूप में अवतार लिया। सृष्टि में मचे भयानक उत्पाद ,अंधकार को खत्म करने के लिए भगवान विष्णु ने वाराह के रूप में उतार लिया था। वाराह अवतार भगवान महा विष्णु का तृतीय अवतार है। वाराह अवतार को जंगलीशुक्र के रूप में भी कहा जाता है।
पौराणिक कथाओ के अनुसार। धरती पर हिरण्यकश्यप हिरण्याक्ष नामक जैसे राक्षसों का अत्याचार बढ़ता ही जा रहा था। हिरण्याक्ष ने यज्ञआदि काम करने के लिए कठोर तपस्या करते देवताओं को पराजित करने के साथ लोगों को प्रसारित करना शुरू कर दिया इसके साथ ही हिरण्याक्ष नामक राक्षस होने और पृथ्वी को पाताल लोक में ले जाकर समुद्र में डुबो दिया । तब पृथ्वी और देवताओं की रक्षा के लिए भगवान विष्णु ने वाराह का रूप धारण किया। वाराह रूप में भगवान विष्णु ने फिर हिरण्याक्ष का वध किया और अपनीसूंड से धरती को समुद्र से बाहर निकाला इसलिए वाराह जयंती धरती की उद्धार का प्रतीक है। जो लोगशत्रु पीड़ा से पीड़ित है वाराह जयंती के दिन उपवास करें। भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए इस मंत्र का कम से कम एक माला का जाप जरूर करे।