भागदौड़ भरी मॉडर्न लाइफ स्टाइल की चौतरफा दबाव के बीच रिलैक्स होने के लिए प्रकृति के करीब जाना और उसे जुड़ना हमेशा शिक्षा शानदार उपाय रहा है। कई रिसर्च में साबित हो चुका है कि नेचर लवर्स ज्यादा समय तक टेंशन में नहीं रह पाते हैं । लाइफ कोच बताते हैं कि प्राकृतिक परिवेश में समय बिताने से चिंता और अवसाद की भावनाएं काम हो सकती है साथ ही इससे मूड भी अच्छा होता है और सेल्फ रिस्पेक्ट भी बढ़ती है।
लोगों को प्रकृति के साथ फिर से जुड़ने के लिए समय निकालना
हरे -भरे जगह पर रहने से फोकस में भी सुधार हो सकता है और चुनौती पूर्ण भावनाओं को मैनेज करने में मदद मिल सकती है। हालांकि शहरों में रहने वाले लोगों को प्रकृति के साथ फिर से जुड़ने के लिए समय निकालना और शांत वातावरण ढूंढना काफी टफ टास्क लगता है।
पार्क और गार्डन शहर जीवन से थोड़ी देर के लिए राहत देते हैं । लेकिन अक्सर अधिक देर तक प्रकृति के बीच रहने की इच्छा को पूरा नहीं कर पाते। इसी चैलेंजिंग मौके पर लोगों को फॉरेस्ट डिपार्टमेंट की जापानी प्रथा शिन्रिन योकू का महत्व पता चलता है। इस फॉरेस्ट बात में संवेदनशील होकर अपने अनुभवों पर ध्यान केंद्रित करते हुए जंगल में धीमी गति से चलना शामिल है। इसके समर्थको का कहना है कि यह तनाव कम करता है और लाइफ में हॉलिस्टिक सुधार करता है। परंपरागत रूप से ये एक सेल्फ गाइड एक्टिविटी है।
फॉरेस्ट बाथ को लेकर ऑनलाइन विवाद को जन्म दिया है
देश में हाल हाल में सामने एक वाकये ने फॉरेस्ट बाथ को लेकर ऑनलाइन विवाद को जन्म दिया है। बेंगलुरु की एक कंपनी ने 1500 की फीस लेकर लोगों की फॉरेस्ट बाथ के बारे में गाइड करने की कोशिश कर रही है। इससे कुछ सोशल मीडिया यूजर नाराज हो गए। कंपनी की ऐड और उसकी कीमत का एक स्क्रीनशॉट वायरल हो गया। कई लोग जापानी प्रथा की बजीकरण की बाजारीकरण की आलोचना कर रहे है। लोगों का मानना है कि यह सभी के लिए एक मुफ्त में उपलब्ध होना चाहिए।
माइक्रो ब्लॉगिंग साइट X पर स्क्रीनशॉट शेयर करतेहुए जोलाड रोट्टी लॉटरी नाम के यूजर ने लिखा , बेब ,उठो बाजार में एक नया घोटाला आया है। यह पोस्ट वायरल हो गया और ऑनलाइन बहस छिड़ गई है। आगे कमेंट सेक्शन में उसी यूजर ने लिखा ,आप पेड़ों के लिए लाकर उनकी छाया के नीचे समय बिताकर प्रकृति से जुड़ती है। ऐसा अच्छा है लेकिन यह पब्लिक प्रॉपर्टी वाली जगह ₹1500 की भारी फीस पर हो रहा है। दूसरे लिखा , पार्क में जाना आसपास गंदगी ना फैलाना और कचरे को कूड़ेदान से ठीक से निपटाना ही सबसे इलाज अच्छा इलाज होगा।