इंदौर मध्य प्रदेश के प्रमुख शहर है जिसे स्वछता में नंबर वन का दर्जा प्राप्त है। अब भिखारी मुक्त बनाने की दिशा में कदम बढ़ा रहा है। प्रशासन ने इस कदम को उठाने का निर्णय इसलिए लिया क्योंकि भिक्षावृत्ति अब एक संगठित धंधे में बदल गई है। कहीं भिखारी ऐसे पाए गए हैं जो ड्रग्स के लिए भीख में पैसे का इस्तेमाल करते हैं या फिर गिरोह के माध्यम से मजबूर लोगों को भिक्षावृत्ति के लिए प्रेरित करते हैं।
क़ानूनी करवाई का अधिकार
कलेक्टर ने बताया कि मध्य प्रदेश भिक्षावृत्ति निवारण अधिनियम, 1973 के तहत भीख मांगना दंडनीय अपराध है हालाँकि इसके अंदर सरकार ने अभी तक भिखारी को भीख देने पर कोई कानून नहीं बनाया लेकिन इस नए नियम के तहत यदि कोई व्यक्ति भीख देते हुए पाया गया तो उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाएगी ।
जागरूकता अभियान
इंदौर प्रशासन ने इस पहल को सफल बनाने के लिए जागरूकता अभियान चलाने का निर्णय लिया है। कलेक्टर ने कहा कि यह अभियान नागरिकों में समझाने के लिए समझाने के लिए है कि भिक्षावृत्ति केवल एक सामाजिक समस्या नहीं, बल्कि एक अपराध भी है। प्रशासन ने पिछले कुछ महीनो में ऐसे गिरोहों का पर्दाफश किया है जो लोगों को मजबूर करके भिक्षावृति करवाते हैं।
भारत के अन्य शहर जहां भिक्षावृत्ति पर प्रतिबंध
केंद्र सरकार द्वारा शुरू किए गए पायलट प्रोजेक्ट के तहत भारत के विभिन्न शहरों को भिखारी मुक्त बनाने की योजना बनाई गई है। इनमें शामिल हैं।
दिल्ली,बेंगलुरु, चेन्नई ,हैदराबाद,लखनऊ, मुंबई,नागपुर,पटना,अहमदाबाद
इन शहरों में भी प्रशासनिक प्रयास किया जा रहे थे ताकि भिक्षावृति पर नियंत्रण पाया जा सके जो और लोगों को आत्मनिभर में बनाया जा सके। इंदौर में भिखोरियों को भीख देने देने परएफआईआर का प्रावधान एक महत्वपूर्ण कदम है न केवल शहर की छवि को सुधारने मदद करेगा उनकी सामाजिक बुराइयों को समाप्त करने की दिशा में भी प्रयास है। नागरिकों से अपील की गई है कि वे इस मुहिम में सहयोग करें और भिक्षावृत्ति को बढ़ावा न दें।