सुपर फूड मखाने की खेती किसानों की आर्थिक सेहत को लगातार सुधार रही है। परंपरागत फसलों की तुलना में कई गुना ज्यादा मुनाफे देने के कारण किसान इसकी खेती की और आकर्षित हो रहे है। मखाने की खेती परंपरागत तरीके से जल जमाव वाली जमीन में होती है लेकिन अब बदलते जमाने के साथ मखाने की खेती धान की तरह सामान्य खेत में भी की जा सकती है। इसके लिए खेत में 6 से 9 इंच तक पानी भरना होता है। कृषि वैज्ञानिक समतल खेत में मखाने की खेती से जुड़ी जानकारी किसानों को दे रहे हैं। साथ ही सरकार भी किसानों की आय बढ़ाने के लिए मखाने की खेती को प्रोत्साहित कर रही है। और खेत में मखाने की खेती में 50% तक सब्सिडी दे रहा है।
यहां हम आपको मखाने की खेती और सब्सिडी के बारे में विस्तार से
मखाना की खेती की दो प्रणालियां किसानों के बीच अधिक लोकप्रिय है। पहली है जलकर प्रणाली और दूसरी खेत प्रणाली। जलकर प्रणाली में ऐसी जगह पर मखाने की खेती की खेती की जाती है जहां पर साल भर पानी का जमाव रहता है। जैसे पोखर ,तालाब ,चाप ,मरी हुई नदी आदि। वही खेत प्रणाली को खेत के चारों ओर मोटा बांधकर पानी को रोका जाता है और मखाने की रोपाई की जाती है । जब तक फलन नहीं हो जाता तब तक पटवन जारी रहता है। उपरोक्त दोनों प्रणालियों में से खेत प्रणाली अधिक फायदेमंद है । किसान बड़ी संख्या में खेत प्रणाली से मखाना की खेती को अपना रहे है। इसकी फसल के लिए बीज और बैल दोनों डाली जाती है इसकी बेल को घसीटा, कमल ककड़ी, भसीड़ा और मुराल नाम से जाना जाता है।
भारत में मखाने का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य बिहार है
विश्व में मखाने का सबसे बड़ा उत्पादक भारत है। भारत में मखाने का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य बिहार है। यह राज्य में खाने की 80% तक आपूर्ति करता है । बिहार मखाने की खेती तालाबों में की जाती है लेकिन अब आधुनिक तकनीक से मखाने की खेती समतल खेतो में की जा सकती है। समतल खेतों में मखाने की खेती के लिए खेत में 6 से 9 इंच तक पानी भर जाता है। यह पानी खेत में लगातार रहनाभरा चाहिए। कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार ,अगर किसान तालाब की बजाय खेत में पानी भरकर मखाने की खेती करते हैं तो उन्हें ज्यादा पैदावार मिलती है। कृषि वैज्ञानिक समतल खेतों में मखाना की खेती के लिए किसानों का प्रशिक्षण भी दे रही है।
खेत में मखाने की खेती कैसे की जा सकती और इससे मुनाफा कैसे कमा सकते हैं
हाल ही में बिहार के पूर्णिया जिले में जिला पदाधिकारी कुंदन कुमार, जिला उद्यान पदाधिकारी राहुल कुमार और भोला पासवान, शास्त्री महाविद्यालय के कृषि एक्सपर्ट डॉ० रूबी शाह सहित अन्य संबंधित अधिकारियों ने मखाना की खेती कर रहे प्रगतिशील किसानों को जानकारी दी की खेत में मखाने की खेती कैसे की जा सकती और इससे मुनाफा कैसे कमा सकते हैं।
अभी तक मखाने की खेती में बिहार का एकाधिकार है। भारत की 80% मखाना का उत्पादन उत्तर बिहार के दरभंगा, मधुबनी व आसपास के जिलों में होता है। बिहार के दरभंगा जिले में सिरोही मखाने की खेती पूर्णिया ,कटिहार , सहरसा ,से होते हुए उत्तर प्रदेश बंगाल असम उड़ीसा जम्मू कश्मीर , बंगाल, असम, उड़ीसा, जम्मू-कश्मीर, मणिपुर और मध्य प्रदेश के ज्यादातर जिलों में पहुंच चुकी है। उत्तर प्रदेश में पिछले कुछ सालों मखाने की खेती में उल्लेखनीय वृद्धि दर हासिल की है।
सब्सिडी देने की योजना बनाई है
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने मखाना की खेती करने वाले किसानों को सब्सिडी देने की योजना बनाई है साथ ही किसानों को मखाना की खेती ट्रेंनिंग भी दी जाएगी। सबसे पीएम मोदी की संसदीय क्षेत्र वाराणसी में बड़े स्तर पर मखाना के खेतों की शुरू की जाएगी। फिलहाल मखाना की खेती के लिए वाराणसीके 8 विधानसभा क्षेत्र में 25 किसानों का चयन किया गया । इन्हें दरभंगा, बिहार के मखाना संस्थान में सरकार की ओर से ट्रेनिंग दिलाई जाएगी। एकीकृत बागवानी विकास मिशन के तहत किसानों को 50% सब्सिडी जाएगी । मखाना की खेती की लागत 80 हजार रुपए प्रति हेक्टेयर निर्धारित की गई है। जिसमे 50% सब्सिडी उद्यान विभाग की तरफ से दी जाएगी। मखाना की खेती के लिए केंद्र राज्य फंडिंग कर रही है। वही बिहार में मखाने की खेती के लिए प्रति हेक्टेयर 72000 की सब्सिडी जाती है साथ ही सस्ते कीमत पर बिज उपलब्ध कराया जाता है।