देश प्रमुख बाजार में बुधवार को कर बुधवार को सरसों , मूंगफली और सोयाबीन जैसे खाध तेलों में के थोक दामों में गिरावट देखी गई। यह गिरावट मलेशिया एक्सचेंज में लगातार हो रही कमी के कारण आयी है लेकिन अभी तक इसका असर नजर नहीं आया। बाजार विशेज्ञों में कहना है कि खाद्य तेलों के अधिकतम खुदरा मूल्य ऊंचे स्तर पर होने के कारण उपभोक्ताओं को सस्ते तेल का लाभ नहीं मिल पा रहा है।
पाम और पामोलीन तेलों के दाम
पाम और पामोलिन तेलों के दामों में उतार चढ़ाव जारी है। यह तेल अन्य खाद्य तेलों जैसे सरसों, मूंगफली और सोयाबीन की तुलना में 2-7% अधिक महंगे हैं। इन ऊंचे दामों के कारण इनकी वैश्विक खपत पर असर पड़ा है। पाम तेल की ऊंची कीमतों ने मलेशिया के निर्यात पर भी नकारात्मक प्रभाव डाला है।
कपास उत्पादन में कमी का प्रभाव
पिछले साल कपास का उत्पादन लगभग 325 लाख गांठ था लेकिन इस वर्ष घटकर 299.5 लाख गाँठ रह गए। इसके साथ ही खपत में लगभग 10% की वृद्धि देखी गई। भारतीय कपास निगम ने इस स्थति को ध्यान में रखते हुए बिनौला सीड के स्टॉक की बिक्री को नियंत्रित करना चाहिए । यदि बिनोला सीड को कम कीमत पर बेचा गया तो इसका आंसर अन्य तेल तिलहनों के दाम पर भी पड़ेगा।
मलेशिया एक्सचेंज में गिरावट का असर
मलेशिया एक्सचेंज में खाद्य तेलों के दामों में 1-1.5% की गिरावट आई है। इसका प्रभाव भारत के घरेलू बाजार में भी नजर आ रहा है। सरसों तेल -तिलहन , मूंगफली तेल -तिलहन ,सोयाबीन तेल ,कच्चा पाम ,, पामोलीन और बिनौला तेल के दामों में गिरावट देखी गई है। हालांकि, खुदरा बाजार में यह गिरावट उपभोक्ताओं के लिए राहत नहीं लेकर आई।
तेलों के थोक दाम
देश के विभिन्न बाजारों में तेलों के थोक दाम निम्नलिखित रहे:
सरसों तिलहन: ₹6,450-6,500 प्रति क्विंटल
मूंगफली: ₹6,100-6,425 प्रति क्विंटल
सोयाबीन दाना: ₹4,125-4,175 प्रति क्विंटल
सोयाबीन तेल मिल डिलीवरी (दिल्ली): ₹13,400 प्रति क्विंटल
पामोलीन आरबीडी (दिल्ली): ₹14,400 प्रति क्विंटल।
घरेलू बाजार में महंगाई का कारण
खाध तेलों के थोक दामों गिरावट के अधिकतम खुदरा बाजार में महंगाई कायम हैइसके पीछे मुख्य कारण अधिकतम खुदरा मूल्य (MRP) को ऊंचे स्तर पर बनाए रखना है। पाम और पामोलीन तेलों की ऊंची कीमतें और कपास उत्पादन में गिरावट जैसे कारकों ने भी महंगाई को बढ़ावा दिया है।