घर में अधिकांश लोग लड्डू गोपाल की मूर्ति स्थापित करते हैं वही उसे लोग इन्हें बाल गोपाल कह कर पुकारते हैं। क्योंकि यह भगवान कृष्ण के बाल रूप माने जाते हैं और जिस तरह से बच्चों को बार-बार खिलाना पड़ता है वैसे ही लड्डू गोपाल को भी बार-बार भोग लगाया जाता है। आपने भी अगर अपने घर की पूजा स्थल में बाल गोपाल की प्रतिमा रखी है तो आप भी उनका सत्कार ठीक है वैसे ही कीजिए जैसे अपने घर के बच्चों को करते हैं। आपको बताते हैं कि वह सभी नियम जो लड्डू गोपाल को भोग लगाते समय अपनाना चाहिए।
लड्डू गोपाल को दिन में एक या दो बार नहीं पूरे चार बार भोग लगाना चाहिए
लड्डू गोपाल को दिन में एक या दो बार नहीं पूरे चार बार भोग लगाना चाहिए उन्हें लगने वाले पहले भोग का समय होता है सुबह 6 से 7:00 बजे के बीच सुबह के समय पर उन्हें भोग में दूध चढ़ाया जा सकता है ,वैसे कुछ लोग इस वक्त चाय का भूख भी लड्डू गोपाल को चढ़ाते हैं।
भोग लगाते समय और सख्त नियम माने जाने चाहिए
इस भोग लगाने के बाद घर में मूर्ति स्थापित करने वाले को स्वयं को स्नान करना चाहिए और फिर लड्डू गोपाल की प्रतिमा या मूर्ति को भी स्नान करना चाहिए। इसके बाद यानी दूसरा भोग लगाया जाता है। इसके बाद बारी आती है तीसरी भोग की यह भोग दोपहर के बाद ही लगाया जाता है। लेकिन भोग लगाते समय और सख्त नियम माने जाने चाहिए जिसमें से एक है सात्विक भोग का नियम।
लड्डू गोपाल को सात्विक भोग चढ़ाना चाहिए
लड्डू गोपाल को सात्विक भोग चढ़ाना चाहिए इस भोग में प्याज या लहसुन नहीं होना चाहिए। बाल गोपाल का चौथा भोग लगता है। रात के समय दिन के भोग की तरह यह भोग भी सात्विक ही होना चाहिए। इस भोग के लिए सबसे उपयुक्त समय माना जाता है रात के 8:00 से 9:00 के बीच। इसके बाद लड्डू गोपाल सेन के लिए जाने जाते हैं। सोने से पहले उन्हें दूध का भोग लगाया जाना चाहिए इसके साथ यह भी माना जाता है कि लड्डू गोपाल को चांदी के बर्तन में भोग अर्पित करना शुभ होता है।