यहां जाने कहा मिला था बाबा खाटू श्याम का शीश ,यहां जाने इस मंदिर से जुड़ी खास बाते

Saroj kanwar
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भारत को मंदिरो की भूमि के रूप में जाना जाता है। यहां पर करोड़ों मंदिर है। जिनका विशेष महत्व है। इनमें से कई मंदिर में चमत्कारी और rhsymyi है। ऐसा ही एक मंदिर राजस्थान के सीकर जिले की खाटू गांव में स्थित है। हम जिस मंदिर की बात कर रहे हैं मंदिर कलयुग के भगवान हारे का सहारा बाबा खाटू श्याम का है। अब खाटू श्याम के मंदिर में कई रहस्य है जिन्हे शायद ही आप जानते होंगे।

बर्बरीक ने बिना कुछ सोच उन्हें अपना शीश खुशी-खुशी दान में दिया था

माना जाता है कि बर्बरीक महाभारत समाप्त होने के बाद श्री कृष्ण ने बर्बरीक के शीश को रूपवती नदी में बहा दिया था। जिसके बाद बर्बरीक का शीश खाटू गांव में जमीन के अंदर दफन हो गया था। फिर एक दिन उसे स्थान से गाय गुजरी तो उसके थनो से अपने आप दूध बहने लगा जिसे देख लोग हैरत में पड़ गए। यह खबर खाटू के राजा को पहुंचाई गई।

राजा जब स्थान पर पहुंचे तो उसे नजारे को देख उन्हें याद आया की कुछ दिन पहले रात को उन्हें रोज सोते समय एक सपना भी आया था। जिसमे भगवान श्री कृष्ण ने आदेश दिया यह एक स्थान पर जमीन में शीश दफन है उस स्थान से शीश को निकाल कर खाटू गांव में ही शीश स्थापित कर मंदिर का निर्माण करवाए।

बाबा खाटू श्याम के मंदिर से जुड़े कुछ रहस्य में बातों के बारे में जानते हैं

यहां बाबा खाटू श्याम के मंदिर से जुड़े कुछ रहस्य में बातों के बारे में जानते हैं। आज हम जिन्हे बाबा खाटू श्याम के रूप में पूजते हैं असल में द्वापर काल कहे या महाभारत काल के समय बर्बरीक के रूप में जाने जाते थे। वह तीन बाण धारी महा शक्तिशाली योद्धा थे। पांडव पुत्र भीम के नाती और घटोत्कच के पुत्र थे। मान्यता है कि , महाभारत युद्ध के दौरान भगवान श्री कृष्ण ने बर्बरीक का शीश दान में मांगा था और बर्बरीक ने बिना कुछ सोच उन्हें अपना शीश खुशी-खुशी दान में दिया था।


जिसके बाद श्री कृष्ण ने प्रसन्न होकर बर्बरीक को वरदान दिया था कि कलयुग में तुम मेरे नाम से पूजे जाओगे और जो भक्त हारा हुआ होगा उसका तुम उसके सहारा बनोगे इतना ही नहीं ये भी वरदान दिया था कि अगर कोई भक्त मेरे दरबार से खाली लौट कर आएगा और तुम्हारे दरबार में माथा देखने जाएगा तो उसकी हार मनोकामना पूरी हो जाएगी।

खाटू के राजा ने उस स्थान की खुदाई करने का आदेश दिया

जिसके बाद खाटू के राजा ने उस स्थान की खुदाई करने का आदेश दिया और वहां जमीन से एक शीश निकला। शीश निकलने के बाद राजा ने उसे विधि विधान के साथ खाटू में ही एक स्थान पर स्थापित कर मंदिर का निर्माण कराया। उसे मंदिर को हम खाटू बाबा खाटू श्याम के मंदिर के रूप में जानते हैं और वर्तमान में उसे मंदिर में रोज हजारों लाखों की संख्या में भक्त पहुंचते हैं और बाबा मुरादे पूरी करते हैं।

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