विविधताओं से भरा देश भारत जहां हर जगह कहीं ना कहीं ऐसे मंदिर है जिन का इतिहास काफी प्राचीन रहा है। उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद जिले में स्थित पांडेश्वर नाथ मंदिर ऐसा ही मंदिर है जो रेलवे स्टेशन मार्ग पर स्थित है। मंदिर की स्थापना महाभारत काल में के दौरान माता कुंती द्वारा शिवजी की स्थापना से जुड़ी हुई है। सदियों पहले जो फर्रुखाबाद की स्थापना नहीं हुई थी तब इस क्षेत्र में बड़े रकबे के जंगल हुआ करते थे। ऐसी समय यहां पर प्राचीन पीपल का पेड़ मौजूद है जिसके पास एक चबूतरे पर पांडवों द्वारा शिव ज्योतिर्लिंग को स्थापित किया गया था।
धौम्य ऋषि द्वारा पांडवों के सामने ही स्थापित किया गया
मंदिर के महंत बताते हैं कि जो भी सच्चे मन से आराध्य शिव के दरबार में आकर लगातार 40 दिन तक विधि विधान से पूजा करता है तो 41 वे दिन सभी मनोकामना पूर्ण होती है। पांडेश्वर नाथ मंदिर के महंत ने बताया कि इस मंदिर की स्थापना उस समय हुई जब पांडव वनवास के लिए गए थे यहां जंगलों के पास कुम्हारों की बस्ती हुआ करती थी। वहीं पर माता कुंती के साथ पांच पांडव रहने आए थे। उसे दौरान माता कुंती ने अपने पुत्रो से कहा कि जिसके कारण हम इतने कष्ट काट रहे हमें शिव जी की आराधना करनी है। इसलिए हमें शिवलिंग की जरूरत है।इसे धौम्य ऋषि द्वारा पांडवों के सामने ही स्थापित किया गया ।
पांडेश्वर नाथ के मंदिर से नाम से जानते है
इसी शिवलिंग को आज पांडेश्वर नाथ के मंदिर से नाम से जानते है। भीमसेन द्वारा लाये गए शिवलिंग जी गंगा जी के किनारे स्थापित किया गया। अर्जुन द्वारा ले गए शिवलिंग को तामेश्वर नाथ के नाम से जाना जाता है। नकुल के द्वारा लाये गए शिवलिंग कोकोतवालेश्वर नाम और सहदेव द्वारा लाये गए शिवलिंग को कंपिल में स्थापित किया गया।
पहले चबूतरे पर इसकी स्थापना गई थी
स्थापना के समय से अब भक्तगण यहां आते हैं। सुबह 4:30 से भक्त आने लगते हैं। पहले चबूतरे पर इसकी स्थापना गई थी। गंगा के किनारे पर राजा द्रुपद का किला हुआ करता था और वहीं ऋषि धौम्य आश्रम था। पांडवों ने यहां काफी समय व्यतीत किया था। मंदिर परिसर में स्थित तीन कुंए उस समय पानी की जरूरत को पूरा करते थे। आज भी क्षेत्र के लोग पांचाल नगरी पहुंचकर मां गंगा से जल भरकर लाते हैं और पांडेश्वर नाथ मंदिर में रुद्राभिषेक करते हैं। यहां प्रतिदिन हजारों की संख्या में भक्त आते हैं और मान्यताओं के अनुसार शिवजी उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं।