आज की पर्तिस्पर्धा बाजार में अक्सर देखते हैं कि सूचकांक नई ऊंचाइयां छु रही है जैसा की हाल ही 25,000 अंक पार किया है । इस ऊँचे मूल्यांकन के बीच, एक सेक्टर ऐसा है जो स्थिर और मजबूत विकास की संभावना दर्शाता है वह हैं भारतीय फार्मास्युटिकल उद्योग। इसे अक्सर एक सुरक्षित निवेश के रूप में देखा जाता है। जो बाजार की अस्थिरता के खिलाफ एक सुरक्षा प्रदान करता है साथ ही यह उद्योग अपनी मजबूत विकास दर के साथ पोर्टफोलियो को मज़बूती भी देता है। जबकि वैश्विक फार्मास्यूटिकल बाजार 2022 तक 6% की सीएजीआर से बढ़ने की उम्मीद है।
भारतीय फार्मा उद्योग कहीं अधिक प्रभावशाली दर से बढ़ाने वाला है जिसकी उम्मीद 12% सीएनजी आर के बीच की जा रही है। क्या भारत को इतनी अद्वितीय वृद्धि दर प्राप्त करने में मदद करता है? और क्या यह वृद्धि स्थिर है? आज हम आपको बताएंगे भारतीय फार्मा बाजार से अग्रणी और स्थाई विकास की और ले जा रहा है।
पहला कारण -अमेरिकी बायो सिक्योर एक्ट का प्रभाव
अमेरिका का आगामी बायो सिक्योर एक्ट का उद्देश्य उन चिंताजनक कंपनियों पर निर्भरता को कम करना है जिनकी अमेरिकी फर्म बाजार में प्रमुख हिस्सा हो। खास तौर पर कुछ कंपनी बायोटिक कंपनियों को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा माना गया। इससे दवा विकास में रुकावटें आ सकती हैं और वैकल्पिक स्रोतों की तलाश में देरी हो सकती है।वैकल्पिक स्रोतों की तलाश में देरी हो सकती है यह स्थिति भारतीय फार्मा कंपनियों के लिए एक विशिष्ट अवसर प्रस्तुत करती है। भारतीय कंपनी ने कोविड -19 को वैश्वीकरण वितरण में अपनी विशेषज्ञ साबित की है और वह इस बाजार का परिवर्तन का लाभ उठाने के लिए रणनीति के रूप से तैयार है। चीनी कंपनियों के बाहर होने से भारतीय कंपनियों के पास उसे जगह का बढ़ाने का बड़ा अवसर है।
दूसरा कारण पेंटिंग की समाप्ति का अवसर
दूसरा महत्वपूर्ण कारक पेटेंट क्लिफ है, जिसमें 2022 और 2032 के बीच लगभग 250 बिलियन अमेरिकी डॉलर के 300 से अधिक दवाओं के पेटेंट समाप्त होने वाले हैं।यह भारतीय फार्मा अधिक यह भारतीय फार्मा दिग्गजों के लिए बड़ा अवसर है। जो इन ब्लॉकबस्टर दावों केजो इन ब्लॉकबस्टर दवाओं के जेनेरिक संस्करण बनाने के लिए तैयार हैं। भारत की प्रतिष्ठा एक किफायती निर्माता के रूप में से वैश्विक मांग को प्रभावित ढंग से पूरा करने में सक्षम बनाती है। यहरणनीतिक लाभ भारतीय फार्मा कंपनियों की वित्तीय स्वास्थ्य को मजबूत बनाता है और उन्हें पेंटेंट समाप्ति का प्रमुख लाभार्थी बनता है।
तीसरा कारण – भारत की नई BioE3 नीति
हाल में भारत सरकार द्वारा BioE3 नीति को मंजूरी दी गई है जो देश जैव आर्थिकी में एक महत्वपूर्ण बदलाव लाती है । इस नीति का उद्देश्य उच्च प्रदर्शन बायो मैन्युफैक्चरिंग को आगे बढ़ाना हैऔर यह “नेट ज़ीरो” और मिशन लाइफ जैसी राष्ट्रीय पहलों के साथ मेल खाता है। यह नीति भारत को एक वैश्विक बायोटेक नेता बनने की दिशा में ले जाने वाली है। इसमें बायो आधारित रसायन रसायन, सटीक बायोथेराप्यूटिक्स, और जलवायु-लचीली कृषि जैसे क्षेत्रों पर विशेष ध्यान दिया गया है। भारत की समृद्ध जैव विविधता और राजनीतिक पहल इसे सेक्टर में अग्रणी शक्ति बनाती है।
अमेरिकी बायो सेक्टर एक्सटेंडेड समाप्ति और बायोहितअमेरिकी बायो सिक्योर एक्ट, पेटेंट समाप्ति, और BioE3 नीति भारतीय फार्मा कंपनियों को अंतरराष्ट्रीय मार्केट में मदद मिलेगी। इसे तेजी से बदलते वैश्विक परिदृश्य में यह सेक्टर निवेशकों के लिए दीर्घकालिक वृद्धि और स्थिरता का एक मजबूत अवसर दे सकता है।