पेरेंटिंग आसान काम नहीं है। माता-पिता की छोटी सी असावधानी बच्चों को जिद्दी और लापरवाह बना सकता है। अधिकतर पेरेंट बच्चों की बात नहीं मानने से परेशान होते है। मोटिवेशनल स्पीकर और गुरु और गोपालदास अक्सर पेरेंटिंग पर बेहतर बेहतरीन सलाह देते है। उनका कहना है की माता पिता को यह जानने की कोशिश करनी चाहिए की बच्चे बात क्यों नहीं सुन रहे। इसकी वजह जानने के बाद इस परेशानी का हल निकाला जा सकता है।
उम्र के अनुसार बातचीत
बच्चों से बात करते समय उनकी उम्र को ध्यान में रखना चाहिए । छोटे बच्चे साथ सरल वाक्यों में बात करें। बात करने के तरीके से बच्चों पर गहरा असर पड़ता है । कपड़े को साफ करने के लिए बच्चों को कहे। प्लीज अपनी खिलोने ठीक से रख दो। वही बड़े बच्चो को कहे की क्या तुम अपनी सारी चीजे जगह पर रख सकते हो। इससे तुम्हें दुबारा उन्हें पाने में आसानी होगी। बड़े बच्चों को इस वाक्य चीजों की व्यवस्थित रखने की महत्व समझ में आ जाएगा और छोटे बच्चे भी विनम्रता से अपनी बातें कहना सीखेंगे।
आई कॉन्टेक्ट रखें
बच्चे से बात करते समय उनकी आंखों में देखकर बात करें। इससे आपकी बातों का गंभीरता से लेंगे इसके साथ ही उन्हें आंखों में आंखें डाल कर बात करने की आदत विकसित होगी।
लिमिट तय करें
व्यवहार और बच्चों की व्यवहार संबंधी लिमिट चेक करें और इन्हें उन्हें इस बारे मेंप्यार से समझा दे। उन्हें बताएं कि वह बड़ों से चिल्ला कर बात नहीं कर सकते लिमिट का पालन स्वयं भी करें तभी बच्चे उनका पालन कर सकेंगे।
शांति और धैर्य
बच्चों की बातें कभी भी आपके धैर्य की परीक्षा लेने वाले होते हैं। लेकिन ऐसे समय शांति को और धैर्य बनाए रखना जरूरी है। गुस्सा या चीखने चिल्लाने से आप चिल्लाने से आपकी अपने बच्चों को समस्या आने पर इसी तरह का व्यवहार करने की आदत की तरफ धकेल सकते हैं।