घर में तोता , कछुआ , सारस ,खरगोश या मैना पालना सामान्य बात मानी जाती है। लेकिन वाइल्डलाइफ प्रोटक्शन एक्ट के तहत यह गैर कानूनी है। अगर कोई व्यक्ति पक्षियों या अन्य संरक्षित वन्यजीवों को घर में रखता है और शिकायत होती है तो उसे 5-7 साल तक की सजा हो सकती है। इसके अलावा भारी जुर्माना भी लगाया जा सकता है।
वाइल्डलाइफ प्रोटक्शन एक्ट के तहत वन्यजीवों न का पालन और उनका व्यवहारअवैध है
वाइल्डलाइफ प्रोटक्शन एक्ट के तहत वन्यजीवों न का पालन और उनका व्यवहारअवैध है । इन नियमों का उल्लंघन करने पर सजा हो सकती है। लेकिन आम जनता को उचित जानकारी देने और वन्य जीवन को बचाने के लिए जिम्मेदारी निभानी चाहिए। कोटा जिले वाले उपवन संरक्षक अनुराग भटनागर के अनुसार ,वाइल्डलाइफ प्रोटक्शन एक्ट 1972 के तहत ,भारतीय तोता ,मैना ,गिलहरी ,लंगूर ,स्टार कछुआ , सांप ,मोर ,बंदर उल्लू ,तीतर ,बाज ,हिरण ,सरस हाथी और अन्य प्रजातियों को पालना प्रतिबंधों में पालन करने पर 3 से 7 साल की सजा हो सकती हो जुर्माना 25000 रुपए तक हो सकता है।
सिर्फ इन प्रजातियों का पालना ही नहीं बल्कि उनकी खरीद फरोख्त करना , उनके अंगो जैसे नाखून ,हड्डी ,मांस ,बाल आदि का रखरखाव भी गैरकानूनी है इस पर वन विभाग की नजर है और इस संबंध में उड़नदस्ता टीम बनाई गई है जो कार्रवाई करती है। इसके तहत वन विभाग कोटा की टीम द्वारा तीन-चार महीना में गरीब 80 तोता 38 कछुए रेस्क्यू किए गए। हालांकि अधिकांश लोगों अज्ञानता के कारण ही इनका पालन कर रहे थे और उन्हें वन्य जीव प्रोटेक्शन एक्ट के तहत नियमों की जानकारी नहीं दी ।
आम जनता से अपील अपनी जिम्मेदारी निभाए
यदि किसी के पास इन संरक्षित पक्षियों या वन्य जीवो को रखा हुआ है उसे तो नजदीकी चिड़ियाघर में छोड़ने का कार्य करे । शिकायत करने पर वन विभाग में प्रजातियों को रेस्क्यू करेगा और आवश्यक कानूनी कार्रवाई की जाएगी। शिकायत करने वालों की पहचान गोपनीय की जाएगी और सख्त कार्रवाई की जाएगी।