सोलर पैनल का वैज्ञानिक आधुनिक आविष्कार कहा जाता है क्योंकि इसके प्रयोग से सौर ऊर्जा से बिजली की उत्पादन किया जा सकता है। सोलर पैनल के उपयोग बिजली के प्रयोग आसानी उपभोक्ता पूरा कर सकते हैंसाथ ही ग्रिड बिजली के निर्भरता को कम कर सकते हैं। ऐसे बिजली का बिल प्राप्त कम प्राप्त होता है। सोलर पैनल के महत्व को समझते सरकार में नागरिकों को उसके लिए प्रेरित कर रही है।
मुक्त इलेक्ट्रॉन का परवाह ही बिजली होता है
सोलर पैनल के द्वारा कुछ उपयुक्त कारकों की उपस्थिति में सही से बिजली का उत्पादन किया जाता है। सोलर पैनल के अंदर से सोलर एनर्जी जिन्हें PV Cell भी कहते हैं। उनके द्वारा बिजली का उत्पादन किया जाता है। सोलर सेल अर्द्धचालक पदार्थों जैसे सिलिकॉन से बनाए जाते हैं। सोलर सेल फोटोइलेक्ट्रिक इफेक्ट के कारण बिजली का उत्पादन करते हैं।धूप पड़ने पर उनके द्वारा मुफ्त इलेक्ट्रॉन प्रिंट किए जाते हैं। मुक्त इलेक्ट्रॉन का परवाह ही बिजली होता है।
10 के डबल सोलर पैनल को 1 घंटे धूप में रखने से 10 किलो वाट घंटा बिजली का उत्पादन होता है।
किलोवाट घंटा को यूनिट कहा जाता है।
अगर इस सोलर पैनल को 5 घंटे की उचित धुप प्राप्त हो तो 50 यूनिट तक बिजली बना सकते हैं।
सोलर पैनल के द्वारा बिजली बनाने में लगभग 20% का पावर लॉस भी होता है, ऐसे में 10 किलोवाट के सोलर पैनल से 40 यूनिट तक बिजली प्राप्त की जा सकती है।
सोलर पैनल को प्रभावित करने वाले कारक
सोलर पैनल का प्रकार– अधिक बिजली का उत्पादन करने के लिए आप मोनोक्रिस्टलाइन या बाइफेशियल सोलर पैनल का प्रयोग कर सकते हैं।
सोलर पैनल की स्थापना– सोलर पैनल की दक्षिण दिशा में सही झुकाव के साथ स्थापित कर अधिक बिजली प्राप्त कर सकते हैं।
उचित रखरखाव– सोलर पैनल का सही से रखरखाव करने के बाद वे अपनी क्षमता के अनुसार बिजली का उत्पादन करते हैं।
सोलर पैनल का लम्बे सही से रख रखाव करने के बाद में अपनी क्षमता के अनुसार बिजली का उत्पादन कर सकते हैं। सोलर पैनल का लाभ लंबे समय तक प्राप्त करने के लिए जरूरी है कि सोलर पैनल की साफ सफाई समय पर की जाए । सोलर सिस्टम को एक्सपर्ट की सहायता से स्थापित करना चाहिए जिससे वे सही से स्थापना करवा सकते है।