17 सितंबर से पितृपक्ष की शुरुआत हो गई है। 15 दिन बाद 2 अक्टूबर के वह पितृपक्ष समाप्त होगा । मान्यता है की पितृ पक्ष के दिनों में मंगल कार्य नहीं होने चाहिए। कहा जाता है कि इन दिनों में भूले बिसरे पितर धरती पर उतरते हैं। इसलिए पितृपक्ष के पितरों की शांति और मुक्ति के लिए पितृ पक्ष से जुड़ी हुई धार्मिक मान्यता भी है।
इन धार्मिक मान्यताओं में कुछ ऐसे संकेत भी होते है जिसमे कहा जाता है कि पूर्वज आपसे कुछ कहते है तरक्की होने का रास्ता साफ हो जाए। यहां जाने पर शुभ संकेत के बारे में।
मुरझाये हुए फूल और पोधो को खिलना
घर में कोई पौधा है और देखभाल न करने की वजह से मुरझा गया है। लेकिन फिर वह अचानक से खिल जाये समझ लेना भूले बिसरे घर आ चुके हैं। मुरझाए हुए फूल और पौधे का फिर से खिलने का संकेत है कि पूर्वज आपसे खुश है।
सपनों में पितरो का आना
सपनों में पितरो या मृत रिश्तेदारों का आना वह भी खुश होते हुए देखना समझो आपके लिए शुभ संकेत है। सपनों में पितरो का आना मतलब तरक्की आना इसलिए पितरो का आना का मतलब है कि उनके लिए विशेष पूजा करना है।
काली चीटियों का घर में डेरा
पितृपक्ष केदिनों में काली चींटियां घर में डाल लेती है इसका मतलब है कि कुछ अच्छा होने वाला है इसलिए इन दोनों घर में दौड़ रही काली चीटियों को ना मारे बल्कि उन्हें खाने के लिए आटा डालें।
घर खाना मांगने आ जाए
जरूरतमंद जब अचानक कोई जरूरतमंद खाना मांगने आ जाये
पितृपक्ष के दौरान जब कोई आपके घर खाने के लिए कुछ मांगने आ जाए तो उसे किसी भी हाल में इग्नोर ना करना। क्योंकि इन दिनों में पूर्वज किसी भी रूप में आने का संकेत है।
जब जानवर आपका भोजन खा ले
पितृपक्ष के दिनों में घर के बाहर रखा खाना कोई जानवर कुत्ता ,गाय ,बकरी और बिल्ली आदि अचानक खा जाये तो समझ लेना खाना पितरों का आने का संकेत है ,इसका मतलब पितरों की कृपा बरस रही है और तरक्की होने वाली है।