Home Loan: अगर नहीं चुके लोन की 3 EMI तो हो जाओगे बर्बाद ,यहां जाने क्या करेगा बैंक आपके साथ उसके बाद

Saroj kanwar
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आज के दौर में होम लोन में लेना मकान खरीदने का सबसे आम जरिया बन गया है। हालांकि लंबे समय तक चलने वाले सालों में EMI का भुगतान करना कई बार मुश्किल हो जाता है। अगर आपकी ईएमआई मिस हो जाती है तो इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं। खास तौर पर लगातार तीन ईएमआई मिस करने पर बैंक आपको डिफाल्टर घोषित कर देता है।आइए विस्तार से समझते हैं कि ऐसा होने पर आपके साथ क्या होता है और इससे बचने के उपाय क्या हैं।

क्या पहली EMI मिस करना बड़ा मुद्दा है?


जब आप पहली बार EMI का भुगतान समय पर नहीं कर पाते हैं तब बैंक इसे आपकी चूक मानता है। आमतौर पर बैंक तुरंत सख्त कार्रवाई नहीं करता इस दौरान बैंक आपको रिमाइंडर भेजता है और समस्या का हल निकलने की कोशिश करता है।

दूसरी EMI मिस करने पर

अगर आपने लगातार दूसरी EMI का भुगतान नहीं किया तो बैंक इसे अपनी चूक मानता है। इस स्थिति में बैंक आपको नोटिस भेजता और समय पर बकाया चुकाने की सलाह देता है। इस समय, उधारकर्ता को बैंक से संपर्क करके अपनी वित्तीय स्थिति के बारे में बात करनी चाहिए और समाधान तलाशना चाहिए।

तीसरी EMI करने पर क्या होता है

लगातार 3 EMI मिस करना बेहद गंभीर मामला होता है। बैंक लोन को एनपीए घोषित कर देता है इसके बाद, उधारकर्ता को डिफॉल्टर की श्रेणी में डाल दिया जाता है। यह स्थिति आपको क्रेडिट स्कोर को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकते हैं और भविष्य में किसी भी प्रकार का लोन में कठिनाई पैदा कर सकती है।

डिफॉल्टर बनने के बाद की प्रक्रिया

तुरंतनीलामी नहीं होती

बैंक लगातार 3 EMI मिस होने के बाद भी सीधे आपकी संपत्ति की नीलामी नहीं कराता। इसके बजाय बैंक आपको कानूनी नोटिस विस्तार बताया चुकाने के लिए 60 दिनों का समय देता है।यह उधारकर्ता के लिए अपनी वित्तीय स्थिति को सुधारने का एक और मौका होता है।

नीलामी की प्रक्रिया

अगर उधारकर्ता कानूनी नोटिस के बाद भी बकाया चुकाने में असमर्थ रहता है तो बैंक की संपत्ति की नीलामी की प्रक्रिया शुरू करता है। नीलामी से पहले बैंक की पब्लिक नोटिस जारी करता है जिसमें संपत्ति का विवरण, रिज़र्व प्राइस, और नीलामी की तारीख व समय की जानकारी होती है।


होम लोन EMI मिस से बचने के सुझाव’


अपनी वित्तीय स्थिति का समय-समय पर मूल्यांकन करें और लोन लेने से पहले अपनी ईएमआई वहन क्षमता सुनिश्चित करें।
बैंक के साथ एक मजबूत संवाद बनाए रखें। अगर आप समय पर ईएमआई नहीं चुका सकते, तो बैंक को पहले से सूचित करें और पुनर्गठन का अनुरोध करें।
ईएमआई बीमा (EMI Insurance) लें, ताकि आपात स्थिति में राहत मिल सके।

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