झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता चम्पई सोरेन बांग्लादेशी घुसपैठ केबढ़ते मूड पर अपनी चिंता व्यक्त की है। हाल ही में लिखे के लेटर में सोरेन ने सरकार और राजनीतिक दलों के लिए अपने को असंतोष को व्यक्त करते हुए आरोप लगाया कि राज्य सरकार ने आदिवासी पहचान और सुरक्षा के महत्वपूर्ण मुद्दों की अनदेखी है।
भाजपा में शामिल होने का फैसला लिया
चंपई का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह का नेतृत्व केवल भाजपा ही केवल इन मुद्दों से निपट सकती है ऐसे में सोरेन ने झारखंड के मूल मूल समुदायों की हितो की रक्षा के लिए भाजपा में शामिल होने का फैसला लिया है। झारखंड उच्च न्यायालय द्वारा विशेष रूप से संथाल परगना क्षेत्र में दोहराई गई है यह चिंताएं हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाली झारखंड सरकार के तहत शासन और प्रशासनिक व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े करती है।
निर्णायक कार्रवाई की कमी और इन दबाव पूर्ण मुद्दों पर पर्याप्त प्रतिक्रिया न केवल संभावित प्रशासनिक चूक का संकेत देती है बल्कि सामाजिक राजनीतिक और सुरक्षित हितो के प्रति अपेक्षा का संकेत देती है जो ये समस्याएं राज्य के लिए उत्पन्न करती है।
संथाल परगना क्षेत्र के 6 जिलों की उपयोगिता और पुलिस अधीक्षकों द्वारा प्रस्तुत हलफनामों में विस्तृत जानकारी की कमी पाई गई। जिसकी वजह से न्यायालयों ने इन मुद्दों को सम्बोधित करने में हेमंत सोरेन सरकार के प्रयास को प्रयास पर भी सवाल उठाया है।